नई दिल्ली. केरल सरकार ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर अपने स्टैंड में परिवर्तन किया है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर मंदिर में किसी भी उम्र की महिलाओं को जाने से रोकने का विरोध किया है.
सरकार का कहना है कि इस प्रकार की व्यवस्था लिंग भेद को जन्म देती है और इसे रोकना चाहिए. गौरतलब है कि अगस्त में बॉम्बे हाइकोर्ट ने हाजी अली दरगाह में महिलाओं के दरगाह तक जाने के पक्ष में फैसला सुनाया था.
अब केरल सरकार ने भी अपने रुख में परिवर्तन करते हुए सबरीमाला मंदिर के गर्भगृह तक किसी भी उम्र की महिलाओं के जाने का समर्थन किया है.
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने केरल सरकार से इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा. जिसके जवाब में राज्य सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील जयदीप गुप्ता ने कहा कि राज्य सरकार पिछली UDF गठबंधन की सरकार से सहमत नहीं है.
जिसने मंदिर में 10 साल से 50 साल तक की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबन्ध को सही बताया था. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पिछ्ली LDF गठबंधन की सरकार की तरफ से 2008 में दाखिल किये गए हलफनामे का समर्थन करती है.
जिसमे सबरीमाला मंदिर के गर्भगृह तक किसी भी उम्र की महिलाओं के जाने की मांग का समर्थन किया गया था. गौरतलब है की केरल में इसी सरकार बदली है. इस वक़्त केरल में लेफ्ट पार्टियों के गठबंधन वाली लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट की सरकार है.
सबरीमाला मंदिर का प्रबंधन करने वाले त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड ने सरकार के इस रुख की आलोचना की है. उन्होंने कहा है की ये परंपरा बहुत पुराने समय से चली आ रही है. जिसकी वजह से सरकार को इसमें किसी भी प्रकार के परिवर्तन का अधिकार नहीं है.