नई दिल्ली. मौजूदा भारतीय राजनीति में सबसे बड़े पुरोधा और भारतीय जनता पार्टी के संस्थाक लाल कृष्ण आडवाणी का आज जन्मदिन है. उनका जन्म 8 नवंबर 1927 को हुआ था. वह आज 88 साल के हो गए हैं.
जब राजनीति में अटल-आडवाणी एक नाम बन गए
राजनीति के आंगन में कांग्रेस के एकाधिकार को सबसे बड़ी चुनौती वास्तव में अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी ने ही दी थी.
राम मंदिर का मुद्दा राजनीति का मुद्दा बनाने में का प्लान आडवाणी का ही था. जिसके दम पर बीजेपी लोकसभा में 2 सीटों से 82 सीटों तक पहुंच गई.
कब पहली बार मिले अटल- आडवाणी
लालकृष्ण राजनीति के शुरुआती दिनों में आरएसएस के प्रचारक के तौर पर राजस्थान में काम कर रहे थे. तब अटल बिहारी वाजपेयी जनसंघ के जाना- पहचाना चेहरा बन चुके थे. एक बार किसी कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए वाजपेयी मुंबई जा रहे थे तभी रास्ते में कोटा स्टेशन पर पहली आडवाणी उनसे मिलने पहुंचे थे.
2009 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद के बने उम्मीदवार
सन 1942 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से अपने करियर की शुरुआत करने वाले आडवाणी बीजेपी के अध्यक्ष से लेकर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार तक बने. बीजेपी के उत्थान में आडवाणी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. जनसंघ से अलग होने के बाद बीजेपी का निर्माण हुआ.
राम मंदिर को दिया समर्थन
लाल कृष्ण आडवाणी पार्टी के पहले अध्यक्ष बनाए गए. कहा जाता है कि उस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी ने हिंदुत्व के प्रति उदार दृष्टिकोण अपनाया लेकिन 1984 के चुनावों में उसका खास फायदा नहीं मिला और बीेजपी ने केवल दो सीटें जीतीं.
इसके बाद लाल कृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में बीजेपी ने विश्व हिंदू परिषद के साथ रामजन्मभूमि को चुनावी मुद्दा बनाया और चुनावी घोषणापत्र में जगह दी. इससे पहले वर्ष 1980 में विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में राम मंदिर बनाने को लेकर अभियान चलाया था. इसके बाद वर्ष 1989 में हुए चुनावों में बीजेपी 86 सीटें जीतकर आई और वीपी सिंह के नेशनल फ्रंट के साथ सरकार बनाई.
निकाली रथ यात्रा
आडवाणी ने वर्ष 1990 कारसेवकों और कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के लिए रथ यात्रा निकाली. उन्होंने कारसेवकों को बाबरी मस्जिद में पूजा करने के लिए इकट्ठा किया. इसे रथयात्रा में गुजरात में सोमनाथ से लेकर उत्तर भारत के बड़े हिस्से को कवर किया गया. इस दौरान बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने रथ यात्रा को सांप्रदायिक करार देते हुए आडवाणी को बिहार में प्रवेश करने से रोक दिया. इस दौरान उन्हें हिरासत में भी लिया गया.
जब गिरी बाबरी मस्जिद
इसके बाद बीजेपी ने वी.पी. सिंह के नेशनल फ्रंट से समर्थन वापस लिया और चुनाव में कूद गई. इन चुनावों में बीजेपी 120 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. इसके बाद अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराई गई और सांप्रदायिक दंगे भड़के. इस पूरे घटनाक्रम के दौरान बीजेपी हिंदुत्व का चेहरा बनकर उभरी हो और उस समय देश की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के लिए चुनौती बन गई. एक समय ऐसा भी था जब वाजपेयी को राम और आडवाणी को लक्ष्मण कहा जाता था.