भोपाल. मध्य प्रदेश में भोपाल जेल से फरार होने वाले सिमी आतंकियों के जेल से भागने के तरीके की जांच हो रही है. प्रथम दृष्टया तो यही लगता है कि जेल में किसी अंदर के आदमी ने ही आतंकियों की जेल से भागने में मदद की होगी.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि जिस हद तक भागने में कैदियों की मदद की गयी है वह चौकाने वाला है. उन्होंने बताया की जेल में करीब 50 सीसीटीवी कैमरे है, जिनमे से अधिकतर काम कर रहे है. सिर्फ ब्लॉक ‘बी’ के ही कैमरे बंद थे.
इसी ब्लॉक में इन आतंकियों को रखा गया था. ऐसा कैसे हो सकता है कि सिर्फ इस ब्लॉक के ही तीनो कैमरे बंद हो. इन तीनो कैमरों की पिछले सात दिनों की मेमोरी भी खाली है. जिसका मतलब है की किसी अंदर के आदमी ने ही कैमरों को पहले से ही बंद किया था.
उन्होंने आगे बताया कि आतंकियों ने बहुत लंबी प्लांनिग की थी. उन लोगों ने टूथब्रश की सहायता से हर ताले की अलग-अलग चाबी बना ली थी. जरूर जेल के ही किसी व्यक्ति ने उन्हें ब्रश को चाभी के रूप में ढालने के लिए चाबियों का ढांचा दिया होगा.
मध्य प्रदेश के गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताया कि अंदर की मिलीभगत के बिना इस कारनामे को अंजाम देना नामुनकिन सा लगता है. हो सकता है जेल से फरार होने के लिए आतंकियों को बाह्य फंडिंग भी की गयी हो.
गौरतलब है कि 31 अक्टूबर को सिमी के आठ आतंकी भोपाल जेल से भाग गए थे. भागने के दौरान उन्होंने जेल के सुरक्षाकर्मी रमाशंकर यादव की धारदार हथियार से हत्या कर दी थी. बाद में मध्य प्रदेश पुलिस ने एसटीएफ के साथ मिलकर किये गए ऑपरेशन में इन आठों आतंकियों को मार गिराया था.