नई दिल्ली. दिल्ली में पिछले हफ्ते से हो रहे जबरदस्त प्रदूषण से निपटने के लिए रविवार को केजरीवाल सरकार ने आपात बैठक बुलाई. जिसमें कई अहम फैसले लिए गए. जिसके तहत निर्माण कार्य पर रोक, सड़कों पर पानी छिड़काव, कूड़ा जलाने पर पांबदी, जेनरेटर सेट पर रोक के अलावा कृत्रिम बारिश कराने के बारे में भी सोचा जा रहा है.
केजरीवाल ने इस समस्या के समाधान के लिए सभी लोगों से सहयोग देने की अपील की. साथ ही ये भी कहा कि इस बारे में केंद्र सरकार से भी बात की जाएगी.
आपको बता दें कि ऐसा कृत्रिम बारिश का यह उपाय पहली बार नहीं हुआ है. इसके पहले भी सूखे के समय देश में कई बार कृत्रिम बारिश कराई जा चुकी है. लेकिन यह पहली बार होगा जब प्रदूषण की इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए इस पर विचार होगा.
ऐसे होती है कृत्रिम बारिश
कृत्रिम बारिश एक खास तरह की प्रक्रिया से होती है. जिसमें रसायनों का इस्तेमाल करके उस इलाके के ऊपर बहने वाली हवा को ऊपर की ओर भेजा जाता है, जिससे वे बारिश के बादल बना सकें. इस प्रक्रिया में कैल्शियम क्लोराइड, कैल्शियम ऑक्साइड, कैल्शियम कार्बाइड, नमक और यूरिया के यौगिक, अमोनियम नाइट्रेट के यौगिक का इस्तेमाल किया जाता है. ये यौगिक हवा से जलवाष्प को सोख लेते हैं और दवाब बनाने की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं. जिससे बारिश होने लगती है.
गौरतलब है कि 2003 महाराष्ट्र में सूखे से निपटने के लिए में कृत्रिम बारिश कराई गई थी. तब सरकार ने 5 करोड़ 40 लाख रुपये खर्च करके 22 तालुकाओं में कृत्रिम बारिश का इस्तेमाल किया था और यह प्रयोग सफल था.