नई दिल्ली. अगर आप असम में RTI एक्ट के तहत अपनी शिकायत इन्फॉर्मेशन कमिश्नर को भेजते है तो आपको अपनी समस्या के सुने जाने के लिए 30 साल तक इंतजार करना पड़ सकता है.
दरसअल भारत में इन्फॉर्मेशन कमिश्नर के काम पर रिसर्च करने वाली एक संस्था ‘सतर्क नागरिक संगठन’ ने अपनी नयी रिपोर्ट में इस बात का खुलाया किया है कि असम, पश्चिम बंगाल और केरल में RTI एक्ट के तहत इन्फॉर्मेशन कमिश्नर की तरफ से शिकायत के निपटारे के लिए आपको क्रमशः 30 साल, 11 साल और सात साल तक इंतजार करना पड़ सकता है.
इस रिपोर्ट के मुताबिक दिसम्बर 2015 तक ऐसे 1.87 लाख केस इन्फॉर्मेशन कमिश्नर के पास लंबित पड़े थे. सिर्फ राज्यों में ही नहीं चीफ इन्फॉर्मेशन कमिश्नर के यहां भी आप को लगभग दो साल तक इंतजार करना पड़ सकता है. ये रिसर्च भारत के 16 राज्यों से जुटाये गए डाटा के आधार पर की गयी है.
RTI एक्ट के तहत इन्फॉर्मेशन कमिश्नर को देरी से सूचना उपलब्ध करने पर जन सूचना अधिकारियों पर 25000 रूपए तक का फाइन लगाने का अधिकार है. इस रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ 1.3 प्रतिशत मामलों में ही सम्बंधित अधिकारियों पर फाइन लगाया गया है. जिसकी वजह से सरकार को 290 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ है.
यदि इस रिपोर्ट की तुलना 2014 में आई रिपोर्ट से करें तो स्थिति और भी भयावह लगती है. लंबित मामलों की संख्या और बढ़ गयी है. जहां पिछली रिपोर्ट में केरल में 2 साल के इंतज़ार के बाद अर्जी इन्फॉर्मेशन कमिश्नर के पास पहुंच पाती थी. अब उसे इन्फॉर्मेशन कमिश्नर तक पहुंचने में सात साल लग जाते है.
पश्चिम बंगाल ने अपनी स्थिति में जरूर सुधार किया है. पहले यहां अपनी अर्जी इन्फॉर्मेशन कमिश्नर तक पहुंचाने में 17 साल लगते थे पर 11 साल में आपकी अर्जी इन्फॉर्मेशन कमिश्नर तक पहुंच जायेगी.