कलोल. उर्वरक क्षेत्र की दुनिया की सबसे बड़ी सहकारी संस्था इफको ने स्थापना के 50वें साल में प्रवेश करने पर गुजरात के कलोल से साल भर चलने वाले स्वर्ण जयंती उत्सव की शुरुआत की. साल 1967 में महज 57 सहकारी समितियों की भागीदारी से स्थापित इफको आज लगभग 36,000 सहकारी समितियों का विशाल परिवार बन गया है.
भारत में इफको के 5 कारखाने
इन सालों में संस्था का आकार कई गुना बढ़ चुका है. आज दुनिया की सबसे बड़ी सहकारी समितियों एवं उर्वरक उत्पादकों में इफको की गिनती होती है. भारत में इफको के 5 अत्याधुनिक कारखाने हैं. बीमा से लेकर ग्रामीण खुदरा व्यवसाय तक अनेक क्षेत्रों में इफको का कारोबार फैला है.
2.23 लाख लोगों को इफको ने दिया रोजगार
इफको ने 10,090 करोड़ के वेतन भुगतान के साथ अब तक 2.23 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध कराया है. इसके अलावा 25000 करोड़ के भुगतान के साथ लगभग 5 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार दिलाया गया है.
1964 में शुरू हुई इस संयत्र की परिकल्पना
इफको के इतिहास में कलोल का अपना विशेष स्थान है. यह न केवल इफको की पहली उत्पादन इकाई है बल्कि विश्व की सबसे पुरानी उर्वरक उत्पादन इकाइयों में से एक है. 96 हेक्टेयर में फैले इस संयंत्र की परिकल्पना 1964 में ही की गई थी.
किसी सहकारी समिति द्वारा स्थापित यह भारत की पहली उर्वरक उत्पादन इकाई है. यहां 536 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष और 1100 को परोक्ष रूप से रोजगार दिया गया है. इस इकाई में एक किसान प्रशिक्षण केंद्र भी कार्यरत है.
कार्यक्रम में 2500 सहकारी बंधुओं को किया गया सम्मानित
वर्ष भर चलने वाला यह उत्सव अपने आप में अनूठा है. इस दौरान बैठक और संवाद के माध्यम से लगभग 3 लाख किसानों तक पहुंचने की योजना है. इन कार्यक्रमों में लगभग 2500 सहकारी बंधुओं को सम्मानित किया जाएगा.
‘किसानों के बिना पूरा नहीं हो सकता उत्सव’
इस अवसर पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए इफको के अध्यक्ष बी एस नकई ने कहा कि किसान इफको के केंद्र में हैं और इफको का कोई भी उत्सव किसानों के बिना पूरा नहीं हो सकता.
इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने कहा कि मैं भारत भर में लगभग 110 से भी ज्यादा ऐसी बैठकों में शामिल होने की कोशिश करूंगा. किसानों एवं सहकारी बंधुओं से मिलकर मैं उन्हें उनके सहयोग और समर्थन के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं. मैं उन्हें यह भी दिखाना चाहता हूं कि पिछले 50 सालों में आपकी मदद से जो संस्था हमने बनाई है, वह कितनी अनूठी है.
ई-किसान बाजार की हुई ई-किसान बाजार की
इस अवसर पर इफको कलोल इकाई की गृह पत्रिका ‘कस्तूरी’ के स्वर्ण जयंती अंक के विमोचन के साथ-साथ इफको लोगो, नई कारपोरेट फिल्म एवं कुल गीत: “मिट्टी की जान, किसान की शान” का अनावरण किया जाएगा.
डिजिटल ग्रामीण बाजार के क्षेत्र में पहल करते हुए इफको ने अपने स्वर्ण जयंती वर्ष के अवसर पर ई-किसान बाजार की शुरुआत की है. एक ही स्थान पर किसानों को कृषि आदानों की आपूर्ति सुलभ कराने के लिए शुरू की गई इस योजना के तहत अब तक 52 केंद्र खोले गए हैं.