नई दिल्ली. पूजा-पाठ को लेकर 65 सालों से चला आ रहा विवाद अब खत्म हो गया है. अब पुरोहित महाराज अपने हिस्से में मिले जिले के तीर्थयात्रियों की ही पूजा करवानी होगी किसी और जिले के नहीं. तीर्थ यात्री भी अपने इच्छानुसार पुरोहित का चुनाव नहीं कर पाएंगे.
गंगोत्री मंदिर समिति ने बड़ा फैसला लेते हुए देश के 663 जिलों को पुरोहितों के 100 परिवारों में बांट दिया है. अब साल 2017 से तीर्थ यात्री जिस जिले में जाएंगे वहां के तय पुरोहित से ही उन्हें पूजा-पाठ करवाने होंगे.
फिलहाल बही की परंपरा चल रही है, जिसके अनुसार तीर्थ यात्री अपने क्षेत्र के पुरोहित से पूजा करवाते हैं. हालांकि गंगोत्री में ऐसा नहीं था, यहां कोई भी किसी पुरोहित से पूजा करवा सकता था.
थमा विवाद
जिला वितरण समिति के अध्यक्ष संजीव सेमवाल के मुताबिक इस विवाद को सुलझाने के लिए 10 सदस्यीय समिति का गठन हुआ था जिसमें तीर्थ के पुरोहितों ने चर्चा की थी. उसके बाद यह फैसला लिया गया है. फैसले के बाद सभी तीर्थ पुरोहितों को जिला वितरण का प्रमाणपत्र भेज दिया गया है.
उन्होंने बताया कि जिलों के बंटवारा नहीं होने पर कई बार झगड़े की स्थिति पैदा हो जाती थी. इससे तीर्थ यात्रियों भी असहज महसूस करते थे. इसी के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है.