नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला लेते हुए कहा है कि चुनाव के दौरान उम्मीदवारों को अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी होगी. जानकारी गलत पाए जाने पर प्रत्याशी का नामांकन रद्द हो सकता है, क्योंंकि अपने उम्मीदवार की योग्यता जानना प्रत्येक मतदाता का मौलिक अधिकार है.
न्यायमूर्ति एआर दवे और एल नागेश्वर राव की पीठ ने अपने एक फैसले में कहा कि शैक्षणिक योग्यता जानना मतदाता का मौलिक अधिकार है. इससे उसे वंचित नहीं किया जा सकता. इसलिए उम्मीद्वार का भी कर्तव्य बनता है कि वह अपनी शैक्षणिक योग्यता की स्पष्ट जानकारी उपलब्ध कराए.
कोर्ट ने कहा, ‘अपने उम्मीदवार की शैक्षणिक योग्यता जानना प्रत्येक मतदाता का मौलिक अधिकार है. जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों और फॉर्म 26 में भी यह बात साफ तौर पर कही गई है कि प्रत्याशी अपनी योग्यता के बारे में सही जानकारी दे.’
कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि यदि चुनाव में दो उम्मीदवार हैं और यह साबित हो गया कि विजेता उम्मीदवार के नामांकन पत्र में दी गई जानकारी गलत है तो हारने वाले उम्मीदवार को अपना सबूत पेश करने की कोई दरकार नहीं होगी.
दरअसल कोर्ट ने यह फैसला मणिपुर हाई कोर्ट फैसले के खिलाफ दी. मणिपुर में 2012 में मोयरंग विधानसभा क्षेत्र से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की ओर से चुनाव लड़ने वाले पृथ्वीराज का नामांकन हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था. पृथ्वीराज कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ रहे शरतचंद्र सिंह के खिलाफ मैदान में थे.
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