नई दिल्ली. यह तो सभी जानते हैं कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार और केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार में छत्तीस का आंकड़ा है और अब इसका नुक्सान दिल्ली को उठाना पड़ रहा है. दरअसल इनकी आपसी खींच-तान की वजह से दिल्ली में केंद्र सरकार की कई महत्वपूर्ण योजनाएं लागू नहीं हो पा रही हैं.
इसमें अटल मिशन फॉर रिजूवेनेशन ऐंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (AMRUT), स्वच्छ भारत मिशन, हाउसिंग फॉर ऑल (प्रधानमंत्री आवास योजना) जैसी योजनाएं प्रमुख हैं. इस बात की पुष्टि खुद आंकड़े करते हैं. उदाहरण के तौर पर स्वच्छता मिशन के तहत 2019 तक दिल्ली के 1.25 लाख घरों में टॉइलट बनाने का टारगेट रखा गया था लेकिन पिछले दो साल के दौरान दिल्ली ने किसी भी घर में टॉइलट नहीं बनवाया है.
पब्लिक टॉयलेट्स की भी बात करें तो सिर्फ 7,088 टॉइलट्स ही इस दौरान बनाए गए हैं. हालांकि टारगेट 19,559 टॉइलट्स का था. इस पर शहरी विकास मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि ये लक्ष्य एक तरफा दिल्ली पर थोपे नहीं गए थे बल्कि खुद दिल्ली सरकार द्वारा शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बातचीत के आधार पर निर्धारित किये गए थे.
इसके अलावा अटल मिशन फॉर रिजूवेनेशन ऐंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन के तहत देशभर के 500 शहरों में शहरी नवीनीकरण किया जाना था. दिल्ली की तरफ से वित्त वर्ष 2015-16 के आखरी महीने में अपना ऐक्शन प्लान अप्रूवल के लिए मंत्रालय को भेजा गया था. वह भी इसलिए स्वीकार नहीं किये जा सके थे क्योंकि अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली राज्य स्तर की उच्च स्तरीय कमिटी ने इसे अप्रूव नहीं किया था.
इस पर एक अधिकारी ने यहां तक कहा था कि ‘मंत्रालय की ओर से इतनी हड़बड़ी में भेजा था कि इसे राज्य की उच्च स्तरीय समिति से इसे अप्रूव कराने की औपचारिकता भी उन्होंने पूरी नहीं की. इस पर अभी तक दिल्ली सरकार की ओर से कुछ नहीं कहा गया है.