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पीएम मोदी का बड़ा प्लान, अब 5.56 नहीं 7.62 एमएम राइफल से लैस होगी सेना

युद्ध की आशंका और भारतीय सेना को दुनिया में सबसे ज्यादा आधुनिक बनाने के लिए केंद्र में मोदी सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है. भारतीय सेना के लिए सरकार जल्द ही आधुनिक राइफल्स, बख्तरबंद, हेलमेट और कई आधुनिक उपकरणों को खरीदने जा रही है.

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  • October 28, 2016 9:26 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. युद्ध की आशंका और भारतीय सेना को दुनिया में सबसे ज्यादा आधुनिक बनाने के लिए केंद्र में मोदी सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है. भारतीय सेना के लिए सरकार जल्द ही आधुनिक राइफल्स, बख्तरबंद, हेलमेट और कई आधुनिक उपकरणों को खरीदने जा रही है.

आपको बता दें कि सियाचिन जैसी दुर्गम जगहों पर भारतीय सेना और पारा-मिलिट्री के जवानों के जवान दो दशक पुरानी तकनीकी राइफलों का इस्तेमाल कर हैं. काफी दिनों से सेना की ओर से की मांग की जा रही है कि उपकरणों को अब बदलने की जरूरत है.
 

इसी कड़ी में दुनिया भर में सबसे आधुनिक राइफलों की तलाश शुरू कर दी गई है. बताया जा रहा है कि भारतीय सेना के लिए सरकार 185,000 राइफलें खरीदेगी. इसके अलावा रक्षा मंत्रालय को अभी काफी बड़ी संख्या में हेलमेट और बुलेटप्रूफ जैकेट भी खरीदने की जरूरत है. 
 
बताया जा रहा है इस पूरे कदम के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 250 अरब डॉलर खर्च कर भारतीय सेना को आधुनिक बनाने की योजना है. गौरतलब है कि भारतीय सेना और पारा-मिलिट्री सीमाओं पर हर रोज खतरनाक हमलों का सामना कर रहे हैं. जिसमें कश्मीर और उत्तर-पूर्व की सीमाएं सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं.
प्रधानमंत्री मोदी का प्लान
हालांकि विदेशों से इन सैन्य उपकरणों के मांगने से सरकार के ‘मेक इंडिया’ योजना से मेल नहीं खाता है. जिसके मुताबिक सेना की जरूरतों का सामान भारत में ही बनाने की प्लान है. 
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह अच्छी बात है कि सरकार सेना के जरूरी मांगों की ओर से ध्यान दे रही है लेकिन इसके साथ ही यह थोड़ा निराशाजनक है कि सैन्य उपकरण बाहर से मंगाए जा रहे हैं. 
 
क्यों जरूरी है इतने बड़े आधुनिकीकरण की
आपको बता दें कि भारतीय सेना अभी देसी यानी इंसास ( इंडियन स्माल आर्म्स सिस्टम) राइफल का इस्तेमाल करती है. जिसे 1990 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था.
इस राइफल को भारत की सरकारी आयुध फैक्टरी में बनाया जाता है. इसे भारतीय सेना के अलावा नेपाल को भी दिया जाता है. जवानों की शिकायत है कि 5.56एमएम की इस राइफल पर विश्वास नहीं किया जा सकता है. 
यही वजह है कि सरकार ने अब 7.62 एमएम की राइफल के लिए वेंडर की तलाश शुरू कर दी है. इस बोर राइफल को ‘शूट टू किल’ कहा जाता है.
 
जल्दी में है सरकार
मिली जानकारी के मुताबिक अभी भारतीय सेना को 65,000 राइफलों के जरूरत है. जिसे कांट्रैक्ट साइन करने के 28 महीने के अंदर ही देना होगा. इसके लिए सभी इच्छुक कंपनियों को 7 नवंबर तक रक्षा मंत्रालय को जवाब देना है. सरकार इसके लिए अप्रैल 2017 में टेंडर जारी कर देगी. 
गौरतलब है कि 2011 के बाद यह दूसरा मौका जब भारत इतने असॉल्ट राइफलों के लिए इतना बड़ा ठेका जारी करने जारी करने जा रही है. उस समय कई विदेशी कंपनियों को ठेका दिया था. लेकिन 2015 में इन सभी के ठेके इसलिए रद्द कर दिए गए थे क्योंकि इन कंपनियों के बनाई राइफलें भारतीय सेना के मन के मुताबिक नहीं थीं. 
 
सौदों में देरी बड़ा रोड़ा
इसके अलावा भारतीय सेना को लाइट ऑटोमैटिक राइफल्स, मशीन गन, स्निफर राइफल की जरूरत है. शुरू में 43 हजार कारबाइन खरीदने की योजना बनाई गई थी. जिसमें 120,000 को भारत की फैक्टरियों से लेने का प्लान था.
इसके लिए चार साल पहले टेंडर भी जारी कर दिया गया था. लेकिन सेना से जुड़े एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि यह टेंडर पिछले ही महीने कुछ वजहों से कैंसिल कर दिया गया.
 

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