मुम्बई. टाटा समूह के चेयरमैन पद से हटाये गए साइरस मिस्त्री ने समूह पर जम कर निशान साधा है. उन्होंने कहा कि कंपनी ने उन्हें एक निरीह चेयरमैन बना कर रख दिया था.
उन्होंने एक गोपनीय ईमेल लिख कर कंपनी के फैसले पर रोष व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि निर्णय प्रक्रिया में बदलाव के चलते कम्पनी में बहुत सारे अलग-अलग शक्ति केंद्र बन गए थे.
अपने इस ईमेल में उन्होंने लिखा है,‘अपने चेयरमैन को बिना स्पष्टीकरण और स्वयं के बचाव के लिए कोई मौका दिए बिना इस तरह से हटाना कारपोरेट इतिहास में अनूठा मामला है.’
मिस्त्री ने अपने ईमेल में इस बात के स्पष्ट संकेत दिए है कि रतन टाटा से उनके सम्बन्ध मधुर नहीं थे. उन्होंने लिखा कि 2012 में कंपनी ज्वाइन करते समय उनसे कहा गया था कि उन्हें फैसले लेने की पूरी छूट दी जाएगी पर ऐसा बिकुल भी नहीं हुआ.
उन्होंने ये भी लिखा की टाटा परिवार के ट्रस्टों के प्रतिनिधि बैठक बीच में ही छोड़कर ‘श्रीमान टाटा’ से निर्देश लेने चले जाते थे. उन्होंने घाटे में चल रही नैनो कार परियोजना का भी मुद्दा ऊठाया. उन्होंने कहा घाटे में चल रही इस परियोजना को भावनात्नक कारणों से बंद नहीं किया गया.