चंदौली. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच संग्राम इस साल जून में छिड़ा. मुख्तार अंसारी की पार्टी के विलय पर अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल के खिलाफ मोर्चा खोला, तो शिवपाल सीधे चंदौली में अपने गुरु नागा बाबा के पास पहुंचे. शिवपाल और नागा बाबा के रिश्तों से वाकिफ लोगों का कहना है कि शिवपाल जब भी संकट में आते हैं, तब नागा बाबा ही उन्हें दैवीय ताकत मुहैया कराते हैं.
नागा बाबा ने शिवपाल का संकट निपटाने के लिए जो पूजा की, उसका परिणाम आने से पहले ही एक और खबर आई, जिससे अखिलेश यादव के खेमे में खलबली मच गई. बीती नवरात्र के दौरान मिर्जापुर के एक मशहूर मंदिर में साधुओं और तांत्रिकों की एक पूरी टीम जमा हुई थी. तांत्रिकों की ये टीम एक खास मकसद से यहां पर जमा हुई थी और वो मकसद अखिलेश यादव को सीएम की कुर्सी से हटाना था.
लेकिन मकसद इतना गुप्त रखा गया था कि किसी को इस तंत्र क्रिया की भनक तक नहीं लगने पाई. यहां तक कि अनुष्ठान कर रहे तांत्रिक भी सिर्फ अपना काम कर रहे थे. यजमान कौन है, इस बात से वो भी बेखबर थे. मिर्जापुर में गुपचुप तरीके से हुआ ये अनुष्ठान कोई साधारण पूजापाठ नहीं थी, बल्कि यहां जो कुछ भी हुआ वो एक जटिल तंत्र साधना जैसा ही थी.
सूत्रों के मुताबिक पूरे अनुष्ठान के दौरान एक सैकड़ा नारियलों की बलि दी गई. बड़ी बात ये है कि इस तांत्रिक अनुष्ठान में अमर सिंह भी शामिल थे. नवरात्र के मौके पर अमर सिंह ने मिर्जापुर में ही मौजूद थे. उनकी मौजूदगी को शिवपाल की तंत्र साधना से जोड़कर देखा जा रहा है.
कहा जा रहा है कि चाचा शिवपाल और अमर सिंह की इस साजिश की भनक अखिलेश यादव को भी लग गई थी. इसीलिए 24 अक्टूबर को पार्टी दफ्तर में अमर सिंह के नाम पर अखिलेश अपने पिता के सामने ही फट पड़े थे. मुलायम सिंह ने अखिलेश को दो टूक कहा कि वो अमर सिंह के खिलाफ कुछ नहीं सुन सकते फिर भी अखिलेश जाते-जाते अमर सिंह पर अपनी भड़ास निकाल गए.
यूपी की सियासत में शिवपाल यादव ने जिस तरह तहलका मचाया है, उसे देखते हुए शिवपाल के समर्थकों का दावा है कि ये सब नागा बाबा की ही कृपा है, जो शिवपाल पर कोई आंच नहीं आने देती. इंडिया न्यूज/इनखबर इस बात का दावा तो नहीं कर सकता कि मिर्जापुर में किए गए तांत्रिक अनुष्ठान का अखिलेश यादव पर कितना असर हुआ है या कोई असर हुआ भी है या नहीं, लेकिन इतना तो जरूर है कि यूपी में सत्ता की जंग में हर वो तौर तरीके आजमाए जा रहे हैं, जिन्हें आधुनिक समाज में अंधविश्वास माना जाता है.
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