नई दिल्ली. समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के खेमे अब खुलकर मैदान में आ गए हैं. पार्टी और परिवार के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने बेटे की बजाय भाई शिवपाल और भाई जैसे अमर सिंह को अपना मान लिया है, तो मुलायम के चचेरे भाई रामगोपाल यादव खुलकर अखिलेश यादव के साथ हैं.
क्या चाचा-भतीजे की लड़ाई में मुलायम की पार्टी का बंटना तय है ? आखिर मुलायम को अखिलेश से ज्यादा प्यारे अमर सिंह क्यों हैं ?, आज यूपी की राजनीति के इन्हीं सुलगते सवालों पर होगी बड़ी बहस.
समाजवादी पार्टी में कल तक सभी नेता यही कहते थे कि पार्टी और परिवार में मुलायम की बात कोई नहीं काट सकता. अखिलेश और शिवपाल के झगड़े में आज ये भ्रम भी टूट गया. लखनऊ में समाजवादी पार्टी के दफ्तर पर मुलायम की मौजूदगी में अखिलेश और शिवपाल के समर्थक ही नहीं, बल्कि चाचा-भतीजा भी एक-दूसरे से गुत्थमगुत्था हो गए.
समाजवादी पार्टी के दफ्तर में मुलायम सिंह यादव ने पार्टी के सभी विधायकों, सांसदों और पूर्व सांसदों की बैठक बुलाई थी. उम्मीद थी कि अखिलेश और शिवपाल के बीच नेताजी सुलह कराने वाले हैं, लेकिन बाहर दोनों के समर्थक आग उगलते रहे और अंदर शिवपाल, मुलायम और अखिलेश की आंखों से आंसू और जुबान से अंगारे निकलते रहे.
अखिलेश ने अकेले अमर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था, तो अमर सिंह की तरफदारी में शिवपाल और मुलायम एक साथ खड़े थे. इस बैठक में मुलायम सिंह यादव ने एक बात साफ कर दी कि उनके लिए अमर सिंह और शिवपाल पहले हैं, अखिलेश बाद में. मुलायम ने अखिलेश और शिवपाल को गले भी लगवाया, लेकिन ये मिलाप कुछ मिनट भी नहीं टिका.
अखिलेश ने अमर सिंह पर अपने खिलाफ अखबार में खबर छपवाने का आरोप लगाया, तो शिवपाल ने उनके हाथों से माइक छीनते हुए कहा कि ये मुख्यमंत्री झूठ बोलता है. मुलायम की बुलाई मीटिंग में किसी को कुछ हासिल नहीं हुआ. सिर्फ इतना हुआ कि अब तक चाचा-भतीजा के बीच जो बातें बंद कमरे में होती थीं, वो सार्वजनिक हो गईं.
बाद में अखिलेश और शिवपाल के साथ मुलायम ने अपने आवास पर मुलाकात की, तो अखिलेश यादव ने विधायकों के साथ अपने घर पर मीटिंग की. अब पार्टी और परिवार के लोगों को भी साफ दिख रहा है कि शिवपाल और अखिलेश के बीच स्थायी युद्धविराम संभव नहीं है.
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