नई दिल्ली. यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव में झगड़ा अब उस मोड़ पर है, जहां सुलह की गुंजाइश बहुत कम दिख रही है. अखिलेश यादव अपने समर्थकों को पार्टी से निकाले जाने पर नाराज़ हैं. मुलायम सिंह यादव ने अपने पुराने साथियों को आज अखिलेश के पास भेजा और इधर शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी के फ्रंटल संगठनों के तीन प्रदेश अध्यक्षों को हटा दिया.
माना जा रहा है कि अखिलेश के करीबियों को हटाकर शिवपाल ने झगड़े का एक और फ्रंट खोल दिया है. सीएम अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल के बीच जो तकरार शुरू हुई थी, वो अब खुले दंगल में बदलती नज़र आ रही है. दंगल भी ऐसा, जिसमें राजनीति के माहिर पहलवान मुलायम सिंह का परिवार दांव पर है, पार्टी दांव पर है और ये साख भी दांव पर है कि समाजवादी पार्टी में मुलायम की मर्ज़ी के बिना कुछ नहीं हो सकता.
पार्टी और परिवार की कलह के बीच शनिवार को लखनऊ में मुलायम सिंह यादव के घर समाजवादी पार्टी के चार बड़े नेताओं की बैठक पर सबकी नज़रें थीं. बैठक के बाद जब समाजवादी पार्टी के दिग्गज बाहर निकले, तो उनकी बातों से लगा कि वो मुलायम का कोई शांति प्रस्ताव लेकर अखिलेश यादव से मिलने जा रहे हैं.
अखिलेश यादव के साथ मुलायम के पुराने साथियों की बैठक का नतीजा आता, उससे पहले ही खबर आई कि चाचा शिवपाल यादव ने अखिलेश के समर्थकों पर एक और प्रहार कर दिया है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की हैसियत से शिवपाल यादव ने समाजवादी युवजन सभा, लोहिया वाहिनी और यूथ ब्रिगेड के उन प्रदेश अध्यक्षों को हटा दिया है, जिन्हें अखिलेश यादव का करीबी माना जाता था.
समाजवादी पार्टी में ये बड़ा फेरबदल ऐसे वक्त में हुआ है, जब अखिलेश यादव पार्टी से अपने समर्थकों को निकाले जाने पर पहले से नाराज़ हैं. अखिलेश के समर्थक विधान परिषद सदस्य उदयवीर सिंह ने तो खुली चिट्ठी लिखकर आरोप लगाया है कि ये झगड़ा पार्टी का बेशक है, लेकिन परदे के पीछे से परिवार के लोग हैं, जो अखिलेश के खिलाफ पिछले 5 साल से साज़िश रच रहे हैं. फिलहाल उदयवीर को पार्टी से निकाल दिया गया है और समाजवादी पार्टी के नेता कह रहे हैं कि सब कुछ ठीक है.
अब सबकी नज़रें इस बात पर हैं कि अखिलेश यादव क्या करेंगे ? क्या वो परिवार और पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव की बात सुनेंगे ? या फिर अखिलेश यादव अपने समर्थकों के साथ अपनी अलग राह चुनेंगे ?