Exclusive: पति-पत्नी एक-दूसरे पर करते हैं अत्याचार, होगा तलाक का आधार- दिल्ली HC

नई दिल्ली. अभी तक अदालतों में ऐसे मामले आते रहे हैं जिनमें पति या पत्नी एक दूसरे पर अत्याचार करते हैं, लेकिन ये पहला मामला है जहां पति और पत्नी एक दूसरे को परेशान करने के लिए निर्दयता या अत्याचार करते हैं.
दिल्ली हाई कोर्ट ने एक दंपत्ति की शादी खत्म कर तलाक देते हुए कहा कि दंपत्ति के व्यवहार के कारण स्थिति बद से बदतर हो गई. दोनों में एक दूसरे के प्रति आदर, सहनशीलता खत्म हो चुकी है. ये मामला एक दूसरे के प्रति आपसी निर्दयता या अत्याचार तलाक का है.
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि जब से दोनों एक दूसरे के साथ रहे दोनों ने ऐसे आरोप लगाए जिससे कि एक दूसरे का मानसिक उत्पीड़न हुआ. 8 मार्च 2011 को दोनों की शादी हुई और शादी के बाद 4 महीने ही दोनों साथ रहे. इसके बाद से ही दोनों ने एक दूसरे के लिए समस्याएं खड़ी की. इनके बच्चे का दुर्भाग्यूपूर्ण तरीके से गर्भपात हो गया लेकिन इस घटना का भी दोनों ने एडवांटेज लेने की कोशिश की. दोनों में संबंध काफी कटु हो चुका था. ये दोनों शादी के बाद से ही हर पल लड़ते रहे. इन दोनों की जिंदगी में एक दूसरे के प्रति सहनशीलता, एडजस्टमेंट और आदर का भाव था ही नहीं. इनकी शादी बर्बादी के कगार पर पहुंच चुकी थी.
हाई कोर्ट ने कहा कि बच्चे का दुर्भाग्यूर्ण तरीके से गर्भपात हो गया लेकिन ये साबित होता है कि दोनों फैक्ट को तोड़ मरोड़ कर पेश कर रहे थे और जो उन्हें सही लग रहा था वही कहानी बनाई जबकि असलियत ये थी कि भ्रूण मृत था और गर्भपात निश्चित था. अदालत ने कहा कि दोनों ने फैक्ट को बढ़ा चढ़ाकर पेश किया और दोनों के कंडक्ट से स्थिति और खराब हुई.
जुलाई 2011 से ही दोनों अलग रह रहे हैं जबकि फैमिली कोर्ट में भी इन दोनों के बीच समझौते की काफी कोशिश की गई थी. हाई कोर्ट ने कहा कि हालांकि ब्रेकडाउन ऑफ मैरिज जिसमें शादी जुड़ने की गुंजाइश न बची हो, तलाक का अभी ग्राउंड नहीं है लेकिन कई सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के जजमेंट हैं जिसमें क्रुअल्टी के धारणा को कोर्ट ने ब्रेकडाउन ऑफ मैरिज जिसमें शादी जुड़ने की गुंजाइश न बची हो जैसे मामले के साथ रखकर देखा है.
हाई कोर्ट ने कहा कि साक्ष्य ऐसा हो कि पति और पत्नी का आपसी झगड़ा एक दूसरे का धुर विरोधी वाला हो जाए और ऐसे स्टेज पर शादी पहुंच जाए कि दोनों एक दूसरे को टारगेट करने में लगे और एक कहे कि शादी चलती रहे तो मकसद यही लगता है कि दंपत्ति चाहता है कि शादी इसलिए न चले कि उन्हें शादी की खुशहाल जिंदगी चाहिए बल्कि इसलिए कि एक दूसरे को यातना दे सकें और आघात पहुंचा सकें.
हाई कोर्ट ने मामले में पति की अर्जी स्वीकार करते हुए तलाक की डिक्री पारित कर दी. दरअसल पति की तलाक की अर्जी निचली अदालत ने खारिज कर दी थी जिसके बाद पति की ओर से हाई कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल की गई थी.
याचिकाकर्ता की शादी 8 मार्च 2011 को हुई थी. शादी के बाद दोनों उत्तमनगर में रहते थे. शादी के 4 महीने तक दोनों साथ रहे लेकिन इसके बाद दोनों में अनबन हुई और दोनों ने एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाना शुरू कर दिया. महिला अपने मायके चली गई. पति का आरोप था कि पत्नी शादी के दो दिन बाद ही एक महीने के लिए चली गई थी. साथ ही उसे जब पता चला कि पत्नी प्रेग्नेंट है तो वह मिलने गया बाद में उसकी पत्नी ने कहा कि उसने गर्भपात करा लिया जबकि इसके लिए पत्नी ने अपने पति से सलाह नहीं ली. वहीं महिला का आरोप था कि उसके ससुराल वालों ने पांच लाख रुपये मांगे थे. साथ ही उसके साथ मारपीट की गई थी.
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