नई दिल्ली. आतंकी मसूद अज़हर जैसे आतंकी को संयुक्त राष्ट्र में बचाकर चीन ने जो ना-पाक हरकत की, उस पर भारत की सरकार ने सिर्फ कूटनीतिक विरोध जताया है लेकिन, भारत की जनता चीन को सबक सिखाने के मूड में आ चुकी है. सोशल मीडिया पर शुरू हुई चीन के सामान के बायकॉट का असर अब बाज़ार में दिखने लगा है. दीवाली पर चीनी माल की बिक्री में तेज़ गिरावट आई है.
चीन को मिर्ची क्यों लगी
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में लेख छापना पड़ा है कि चीनी कंपनियों को भारत में निवेश की बजाय अपने घरेलू संसाधनों पर ध्यान देना चाहिए. आज हम आपको दिखाएंगे कि भारत में अपना माल बेचकर मुनाफा कमा रहे चीन को मिर्ची क्यों लगी.
मुंबई में चीनी सामान का बायकॉट
सिर्फ दिल्ली में ही नहीं, बल्कि मुंबई में भी चीन को सबक सिखाने के लिए लोगों ने चीनी माल खरीदना बहुत कम कर दिया है. हालांकि चीनी सामान के बायकॉट की मुहिम करीब एक महीना पहले शुरू हुई और तब तक ढेर सारा चीनी माल इम्पोर्ट हो चुका था, इसलिए चीनी सामान बेचने वालों की दिक्कतें बढ़ गई हैं.
पूरे देश में 35 फीसदी तक गिरावट
चीन से सामान लाकर बेचने वालों का कहना है कि पूरे देश में दीवाली पर चीनी बाज़ार में करीब 35 फीसदी तक गिरावट आई है. ये तब है, जब सरकार की तरफ़ से चीन में बने सामान बेचने पर कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है. ये असर सिर्फ देशभक्ति का है, जिसमें खरीदारों के साथ-साथ गुजरात के कारोबारी संगठन भी खुलकर चीनी सामान का बायकॉट कर रहे हैं.
मध्यप्रदेश में चीनी सामान का बायकॉट
चीन के खिलाफ हिंदुस्तानियों का ये हमला सोशल मीडिया से शुरू हुआ और अब पूरे देश में इसका असर ज़मीन पर दिखने लगा है. मध्यप्रदेश के रायसेन में कॉलेज के छात्रों ने शहर में रैली निकाल कर लोगों को समझाया कि अगर पाकिस्तान को सबक सिखाना है, तो चीनी सामान का बायकॉट करो.
गुजरात में चीनी माल के खिलाफ खोला मोर्चा
गुजरात के अहमदाबाद में तो आम जनता के साथ-साथ गुजरात चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने भी चीनी माल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पिछले कुछ साल में दीवाली पर चीनी लड़ियां यानी रंग-बिरंगी लाइट लोगों की पहली पसंद रही है, लेकिन इस साल लोगों ने तय कर लिया है कि चीन को सबक सिखाना है, इसके लिए चाहे जो भी कीमत चुकानी पड़े.
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