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चीन को सबक सिखाने की देशभक्ति में कलावती और रामू जैसे छोटे दुकानदारों की जान मत ले लेना

हाल ही में आपने अगर दिवाली पर चीन के सामान के बहिष्कार से जुड़ा कोई मैसेज पढ़ा या दोस्तों के साथ शेयर किया है और उस पर अमल करने जा रहे हैं तो अपने ही देश के छोटे दुकानदारों की अनजाने में जान लेने की कोशिश कर रहे हैं.

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  • October 19, 2016 1:45 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. हाल ही में आपने अगर दिवाली पर चीन के सामान के बहिष्कार से जुड़ा कोई मैसेज पढ़ा या दोस्तों के साथ शेयर किया है और उस पर अमल करने जा रहे हैं तो अपने ही देश के छोटे दुकानदारों की अनजाने में जान लेने की कोशिश कर रहे हैं.
 
दरअसल कुछ दिनों से चीन से आने वाले दीए, मूर्तियों, लाइटों जैसे सामान के खिलाफ बहिष्कार की मुहिम सोशल मीडिया पर जोर-शोर से चलाई जा रही है लेकिन हम यह समझने में नाकाम रहे हैं कि इस समय इस मुहिम का नुकसान चीन नहीं, भारत के छोटे दुकानदार उठाएंगे.
 
 
ऐसा इसलिए है क्योंकि हम लोग उस मॉडल से अनजान है जिसके तहत चीन और भारत में व्यापार होता है. ध्यान देने वाली बात है कि चीन से दिवाली, होली, गणेश पूजा, दशहरा समेत तमाम भारतीय पर्व-त्योहार का सामान महीनों पहले खरीद लिया जाता है. इसके लिए चीन की फुतियान मार्केट ख़ासा मशहूर है.
 
इस बाजार से त्योहारों में भारत में बिकने वाला सामान चार महीने पहले खरीद लिया जाता है. जिसे दो महीनों के अंदर भारत पहुंचा दिया जाता है. इस तरह देखें तो दिवाली जैसे त्यौहार की कमाई चीन अप्रैल-मई के महीने में ही कर चुका है. इतना ही नहीं दिल्ली-मुम्बई जैसे बड़े शहरों के इम्पोर्टर्स भी दिवाली की कमाई जुलाई-अगस्त में कर चुके हैं.
 
अब जब गली मौहल्ले के उन छोटे दुकानदारों के कमाने की बारी आई है जिन्होंने अपनी मेहनत की कमाई से और यहां तक कि कर्ज लेकर भी चीनी सामान का स्टॉक खरीदा है. त्योहार का समय ही उनके लिए कमाई का एकमात्र समय है. ऐसे में चीनी सामान का बहिष्कार अब इस स्टेज पर बस उन पर भारी पड़ सकता है.
 
 
इस सोच में कोई बुराई नहीं है कि हमें अपने देश में बना सामान ही खरीदना चाहिए लेकिन जो समूह मेड इन चाइना के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं उन्हें इसकी शुरुआत ठीक दिवाली से पहले नहीं बल्कि साल के शुरुआत में ही करनी चाहिए. 
 
उस समय करनी चाहिए जब देश के बड़े कारोबारी चीन के बाजार में ये सारे माल खरीदने जाते हैं. इन समूहों को निशाने पर उन बड़े इम्बोर्टर्स को रखना चाहिए जो बड़ी संख्या में चीन से माल इम्पोर्ट करते हैं.
 
चीन वालों ने तो दिवाली की कमाई अप्रैल-मई में ही निपटा ली, अब फंसी है छोटे दुकानदारों की पूंजी
 
आज तो हालात ये है कि चीन वाला अप्रैल-मई में ही दिवाली की कमाई कर चुका है. दिल्ली-मुंबई वाला इम्पोर्टर भी जुलाई-अगस्त में अपना पैसा और मुनाफा निकाल चुका है. सितंबर खत्म होते-होते हॉलसेलर भी मुनाफा निकाल चुके.
 
अब तो बस लोकल बाजार के लोगों की पूंजी फंसी है जिन्होंने अप्रैल-मई में ही चीन से निकले माल को अपनी सारी कमाई झोंककर जमा कर रखा है कि दिवाली में उनके घर भी लक्ष्मी आएंगी. 

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