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भारत को ही महंगा पड़ेगा इन त्योहारों में मेड इन चाइना का बहिष्कार

आज कल फेसबुक, व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया पर मेड इन चाइना के बहिष्कार से जुड़े कई मैसेज देखे जा सकते हैं. ऐसे में अगर आपने भी यह सोच लिया है कि इन त्योहारों के सीजन में आप मेड इन चाइना का बहिष्कार करने वाले हैं तो जान लें कि इसका नुक्सान फिलहाल भारत को ही होगा.

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  • October 19, 2016 12:26 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली.  आज कल फेसबुक, व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया पर मेड इन चाइना के बहिष्कार से जुड़े कई मैसेज देखे जा सकते हैं. ऐसे में अगर आपने भी यह सोच लिया है कि इन त्योहारों के सीजन में आप मेड इन चाइना का बहिष्कार करने वाले हैं तो जान लें कि इसका नुक्सान फिलहाल भारत को ही होगा. 
 
दरअसल इस सोच में कोई बुराई नहीं है कि हमें अपने ही देश में बना सामान खरीदना चाहिए लेकिन दिवाली पर चीनी लाइटें ना खरीदने भर से भी बात पूरी नहीं हो जाती. इसके लिए तस्वीर को बड़े दायरे में समझने की जरुरत है. 
 
चीन-भारत के व्यापार में बड़ा असंतुलन
 
पहले हमें चीन और भारत के बीच होने वाले व्यापार से जुड़े कुछ आंकड़ों को जान लेना चाहिए. 2015-16 के इम्पोर्ट एक्सपोर्ट से जुड़े आंकड़ों की बात तो करें तो इस साल भारत ने चीन से कुल 61 बिलियन डॉलर्स का सामान इम्पोर्ट किया. वही भारत की ओर से चीन में कुल 9 बिलियन डॉलर का सामान ही एक्सपोर्ट किया गया था. 
 
इन आंकड़ों से साफ़ है कि दोनों ही देशों के व्यापार में भारी असंतुलन है लेकिन बावजूद इसके आज और अभी से चीन के सामान का बहिष्कार भारत को नुक्सान पहुंचाएगा.
 
इस वजह से होगा भारत को ही नुक्सान
 
चीन से भारत में इम्पोर्ट होने वाली चीजों में देखा जाये तो मोबाईल फोन सबसे पहल नम्बर पर आते हैं. इसके बाद फर्टिलाइजर, इलेक्ट्रॉनिक मशीनें, टीवी आदि का नम्बर आता है. ऐसे में समझने की जरुरत है कि दशहरा और दिवाली के आस पास सर्कुलेट होने वाले मैसेज के आधार पर अगर आप मेड इन चाइना का बहिष्कार करते हैं तो वह भारतीय दुकानदार और व्यापारी जो महीनो पहले चीन का सामान स्टॉक में भर चुके हैं नुक्सान वह झेलेंगे.
 
चीन यह सामान महीनों पहले बेच चुका है और ऐसे में अभी बहिष्कार से चीन को कोई नुक्सान नहीं होगा. 
 
चीन के अलावा अन्य देशों से भी आता है सामान
 
जिस वक़्त हम भारत में बने सामान को खरीदने की बात करते हैं उस समय हमें परेशानी सिर्फ चीन ही नहीं बल्कि कोरिया, ताइवान आदि के सामान से भी होनी चाहिए. इसे एक उदाहरण से समझने की कोशिश करते है. अगर हम एक मोबाईल की बात करें तो जिस तरह का नुक्सान भारत को चीन के बने शाओमी को खरीदने से होता है उसी तरह का नुक्सान कोरिया के बने सैमसंग को खरीदने से भी होता है.
 
ऐसे में जरुरत है पूरी तरह से भारत में बने सामान को खरीदने की लेकिन समस्या तब भी बनी रहती है. दरअसल भारत में बनने वाले सामन में भी कई चीजें चीन की इस्तेमाल होती हैं. बात करें भारती मोबाईल कम्पनी माइक्रोमैक्स की तो बेशक वह एक भारतीय कम्पनी है लेकिन उसके कई पुर्जे चीन में ही बनते हैं. 
 
 
धीरे धीरे किया जा सकता है बदलाव
 
अब सवाल यह उठता है कि इस समस्या का क्या समाधान है. दरअसल इसके लिए जरुरत है खुद को मजबूत करने की. अगर हम अपनी दिनचर्या पर ध्यान दें तो  सुबह के टूथ ब्रश से लेकर रात के कॉफ़ी मग तक सब चीन का है और चीन के अलावा दूसरे देश का सामान उस कीमत पर उपलब्ध नही है. ऐसे में जरुरी हो जाता है कि पहले हम यह सामान खुद अपने देश में बनाने लगें और एक मजबूत स्तिथि में आकर मेड इन चाइना को ना कहें.

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