नई दिल्ली. आम आदमी पार्टी (आप) के नेता शुक्रवार शाम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से कथित ‘लाभ का पद’ और दिल्ली विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिए के मामले में शुक्रवार को मुलाकात हुई. डिप्टी सीएम मनिष सिसौदिया की अगुवाई में मिले आप नेताओं ने राष्ट्रपति से दूसरे राज्यों में मिली नियुक्त संसदीय सचिवों को लेकर भी शिकायत की है.
उन्होंने कहा है कि दिल्ली में संसदीय सचिव बनाए गए विधायकों को किसी भी प्रकार की सरकारी सुविधा नहीं दी जा रही है, जबकि दूसरे राज्यों में संसदिय सचिवों को हर तरह की सुविधा दी जा रही है.
राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद सिसौदिया ने कहा है कि हमने राष्ट्रपति से हरियाणा, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और गुजरात में नियुक्त किए गए संसदीय सचिवों की भी शिकायत की है. इन सभी राज्यों में संसदीय सचिव सरकार की तरफ से दी जा रही सुविधाओं का भरपूर फायदा ले रहे हैं. दिल्ली सरकार के साथ-साथ इन राज्यों के विधायकों की भी सदस्यता रद्द की जाए.
दिल्ली में संसदीय सचिव को किसी भी प्रकार की सरकार की तरफ से कोई भी सुविधा नहीं मिल रही है. इन्हें ऑफिस तक सरकार की तरफ से नहीं मिला है. जबकि चारों राज्यों के करीब 21 विधायक वेतन, लाल बत्ती वाली गाड़ियां, आवास और दफ्तर आदि की सुविधाएं ले रहे हैं. सिसौदिया ने कहा, हम राष्ट्रपति से उम्मीद करते हैं कि वह इस मामले में उपयुक्त से उपयुक्त कार्रवाई करेंगे.
वहीं रोगी कल्याण समिति के अध्यक्ष के पद पर काम कर रहे आप के 27 विधायकों के मामले में सिसौदिया का कहना था कि इन सबकी नियुक्ति एक कानून व्यवस्था के तहत की गई थी. पहले भी हॉस्पिटलों में इस तरह की समितियां काम कर रही थी. उन कमेटियों में भी इसी प्रकार के विधायक ही रहते थे. बता दें कि मनीष सिसोदिया, आशुतोष, कपिल मिश्रा और गोपाल राय राष्ट्रपति मुखर्जी से मिले थे.