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अवैध संबंध का झूठा आरोप लगाना मानसिक अत्याचार, हो सकता है तलाक का आधार: दिल्ली HC

दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि दंपत्ति पर अवैध संबंध का झूठा आरोप लगाना मानसिक अत्याचार है और ये तलाक़ का आधार हो सकता है.

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  • October 14, 2016 2:39 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि दंपत्ति पर अवैध संबंध का झूठा आरोप लगाना मानसिक अत्याचार है और ये तलाक़ का आधार हो सकता है.
 
दरअसल एक महिला ने अपने पति पर आरोप लगाया था कि पति का उसकी भाभी के साथ अवैध संबंध है. हाई कोर्ट ने कहा कि इस तरह का झूठा आरोप लगाने को किसी भी तरह से जस्टिफाई नहीं किया जा सकता. इस तरह के आरोप से न सिर्फ महिला का अपना वैवाहिक जीवन खराब करता है बल्कि पति के भाई का परिवार भी प्रभावित होता है.
 
हाई कोर्ट ने ये भी कहा कि महिला ने ये साफ नहीं किया कि आखिर क्या आपत्तिजनक था. हाई कोर्ट ने कहा कि दंपत्ति के चरित्र पर झूठा आरोप लगाना मानसिक अत्याचार है और इस आधार पर तलाक हो सकता है.
 
निचली अदालत ने भी महिला के पति के पक्ष में फैसला सुनाया था जिसे महिला ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने महिला की अर्जी खारिज कर दी और कहा कि चरित्र पर इस तरह का झूठा लांछन लगाना अत्याचार है.
 
क्या है मामला ?
बता दें कि दोनों की 15 फरवरी 2006 को शादी हुई थी. शादी के बाद बच्ची हुई. पति का आरोप है कि उसकी पत्नी लगातार अपने मायके जाती रही और इसके लिए उसकी अनुमति नहीं ली और लंबे समय तक मायके में रही.
 
7 मार्च 2007 को जब वह मायके गई उसके बाद भी बुलाने पर नहीं आई. दाम्पत्य जीवन को बहाल करने के लिए पति की ओर से अर्जी दाखिल की गई उसके बाद भी जब नहीं आई तो पति ने मानसिक अत्याचार के आधार पर तलाक की अर्जी दाखिल कर दी.

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