नई दिल्ली. भारत को जहां पाकिस्तान और चीन से खतरा होने की बात कही जा रही है वहीं, इस बारे में देश के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन का कुछ और मानना है. उनका कहना है कि भारत को पाकिस्तान और चीन जैसी बाहरी ताकतों से नहीं बल्कि आतंरिक खतरा है. ये खतरे सांप्रदायिक और सामाजिक हिंसा से जन्म लेते हैं.
मेनन से पूछा गया था कि क्या पाकिस्तान या चीन से भारत के अस्तित्व को कोई खतरा हो सकता है, तो उन्होंने कहा, ‘नहीं, राष्ट्रीय सुरक्षा के सदंर्भ में खतरे आंतरिक हैं.’ मेनन ने कहा कि आज भारत के अस्तित्व पर वैसा कोई खतरा नहीं है जैसा की 50 के दशक में था. 60 दशक में आंतरिक अलगाववादी खतरे थे. लेकिन, अब हम उनसे निपट चुके हैं.
बढ़ी है सांप्रदायिक और आंतरिक हिंसा
शिवशंकर मेनन पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में जनवरी 2010 से मई 2014 तक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे हैं. अगल हफ्ते उनकी किताब ‘च्वॉइसेज: इंसाइड द मेकिंग आॅफ इंडियाज फॉरेन पॉलिसी, आने वाली है.
भारत के आंतरिक खतरों के संबंध में उन्होंने आगे कहा कि भारत की अवधारणा और अखंडता को वास्तविक खतरे देश के अंदर से हैं. भारत में हिंसा को देखें तो आतंकवाद और वामपंथी चरमपंथ से होने वाली मौतों में 21वीं सदी में साल 2014-15 तक लगातार कमी आई है. साल 2012 से सांप्रदायिक, सामाजिक और आंतरिक हिंसा बढ़ी है। हमारे लिए इससे निपटने का तरीका ढूंढना जरूरी है.
पाक में परमाणु हथियार पर सेना का नियंत्रण
देश के त्वरित विकास से जुड़े खतरों के बारे में मेनन ने कहा कि भारत बदल गया है. यह सामान्य है. बदलाव के दौरान ऐसा कई समाजों के साथ हुआ है. हालांकि, आपको इससे निपटना का सही तरीका खोजना होगा.
पाकिस्तान को लेकर शिवशंकर मेनन ने कहा कि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को असल खतरा आतंकवादी संगठनों से नहीं बल्कि उसकी सेना में मौजूद अस्थिर तत्वों से है. परमाणु हथियार एक जटिल उपकरण हैं, जिसके इस्तेमाल के लिए उच्च स्तर के कौशल की जरूरत होती है. विश्व में केवल पाकिस्तान का ऐसा परमाणु हथियार कार्यक्रम है, जिस पर सेना नियंत्रण करती है.