JNU में पीएम मोदी का पुतला जलाने के मामले में वीसी ने दिए जांच के आदेश

नई दिल्ली. जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) का और विवादों का पूराना नाता रहा है. दरअसल, दशहरे के दिन यहां रावण की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला जला दिया था. जेएनयू NSUI के कार्यकर्ताओं ने बताया है कि उन्होंने जेएनयू में इन पुतलों को जलाकर दशहरा मनाया. वाइस चांसलर प्रफेसर एम जगदीश ने पुतला जलाने को लेकर शुरू हुए इस विवाद में जांच के आदेश दे दिए हैं.
गृह मंत्रालय ने मांगी JNU प्रकरण पर रिपोर्ट
एएनआई के अनुसार दिल्ली पुलिस से गृह मंत्रालय ने भी जेएनयू प्रकरण पर रिपोर्ट मांगी है. जब कुलपति से इस पूरे मामले के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि हमे जेएनयू में पुतला जलाने की घटना के बारे में पता चला है. इस पूरे मामले की जांच चल रही है और हम लोग इस मामले से जुड़ी जानकारी की पड़ताल कर रहे हैं.
NSUI ने छात्रों को जारी किया कारण बताओ नोटिस
इस पूरे मामले को देखते हुए एनएसयूआई ने अपनी जेएनयू विंग के खिलाफ कार्रवाई का मन बना लिया है. खबरों की मानें तो पुतला जलाने की इस घटना में  एनएसयूआई के जो भी छात्र शामिल थे उनके लिए कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है, क्योंकि पुतला जलाना ही एनएसयूआई की आचार संहिता के खिलाफ है.
VIDEO सोशल मीडिया पर वायरल
बता दें कि कांग्रेस की स्टूडेंट विंग एनएसयूआई के सदस्यों ने जेएनयू में विजयादशमी के दिन पीएम मोदी के अलावा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) चीफ अमित शाह, योगगुरू बाबा रामदेव, योगी आदित्यनाथ, साध्वी प्रज्ञा, नाथुराम गोडसे और आसाराम के पुतले जलाए. साथ ही छात्रों ने जेएनयू यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर एम जगदेश का पुतला भी जलाया. विजयादशमी के दिन पुतला दहन का विडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ है.

य’ह प्रदर्शन गौ रक्षा के नाम पर हो रहे अत्‍याचारों के खिलाफ था’
जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में एनएसयूआई के प्रेसिडेंटल कैंडिडेट रहे सन्‍नी धीमान का कहना है कि हमारा ये विरोध प्रदर्शन गौरक्षा के नाम पर यूथ फोरम फॉर डिस्‍कशंस एंड वेलफेयर एक्टिविटीज (YFDA) को निशाना बनाने के खिलाफ है. यह प्रदर्शन गौ रक्षा के नाम पर मुस्लिमों और दलितों पर अत्‍याचारों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे YFDA के सदस्यों को नोटिस जारी करने के जेएनयू प्रशासन के फैसले के खिलाफ था.
मुस्लिम छात्रों के साथ भेदभाव करती है JNU प्रशासन
उन्होंने आगे कहा कि YFDA को निशाना इसलिए बनाया जा रहा है क्‍योंकि इसमें अधिकतर छात्र मुस्लिम छात्र हैं. मुस्लिम छात्रों के साथ जेएनयू प्रशासन भेदभाव कर रही है.
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