नई दिल्ली. दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार ने उपराज्यपाल नजीब जंग को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है. एजी से अधिकारों की जंग से रिश्तों में तल्खी को आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अब पूर्व में शीला दीक्षित की सरकार के दौरान हुए सीएनजी फिटनेस घोटाला के जरिए उपराज्यपाल पर निशाना साधने की पहल की है.
सीएनजी घोटाले में केस बंद करे को एलजी ने कहा था
सूत्रों से आ रही खबर के अनुसार दिल्ली सरकार अब मुख्य सचिव से रिपोर्ट मांगेगी कि क्या सीएनजी घोटाले में कार्रवाई एलजी के खिलाफ की जा सकती है. दिल्ली सरकार का मानना है कि सीबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक़ एलजी ने गलत तरीके से केस बंद करने के लिए बोला था.
मुख्य सचिव से ये पूछेगी दिल्ली सरकार
दिल्ली सरकार मुख्य सचिव से ये पूछेगी कि क्या आईपीसी की धारा 217 और 218 के तहत केस चल सकता है या नहीं. इस धारा के तहत अगर कोई सरकारी अधिकारी अपने पद का दुरूपयोग करके किसको सज़ा से बचाता है या उसको कम करवाता है तो उसको 2 साल की सज़ा और जुर्माना दोनों हो सकते हैं. 2002 के सीएनजी फिटनेस घोटाले में सीबीआई ने उस समय के मुख्य सचिव डी एम सपोलिया, तत्कालीन परिवहन सचिव आर के वर्मा और आईएएस अधिकारी पी के त्रिपाठी के खिलाफ केस चलाने की इजाज़त मांगी थी जिसको एलजी ने कथित रूप से गलत तरीके से नकार दिया था.
राष्ट्रपति से मिल सकते हैं केजरीवाल
सूत्रों का कहना है कि इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल सीदे राष्ट्रपति से मिलकर चर्चा कर सकते हैं और उनसे दखल की मांग कर सकते हैं. बता दें कि दिल्ली में 2002 में हुए सीएनजी घोटाले की जांच दिल्ली की एंटी करप्शन ब्रांच से दोबारा कराने के लिए दिल्ली सरकार पहले ही एक आदेश जारी कर चुकी है. हालांकि, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि एंटी करप्शन ब्रांच के जरिए राजनीतिक बदला लिया जा रहा है.
क्या था घोटाला
दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के समय सीएनजी किट लगाने ठेका दो कंपनियों को दिया गया था. बताया जाता है कि इसमें 100 करोड़ से ज्यादा का नुकसान दिल्ली सरकार को उठाना पड़ा था. जांच के दायरे में पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खास नौकरशाह जीएम सपोलिया और पीके त्रिपाठी भी हैं. दरअसल दिल्ली में एक कंपनियों को सीएनजी किट लगाने का ठेका दिया गया था, लेकिन इसमें कई खामियां मिली. बिना टेंडर के ठेका दिया गया. इसमें खर्च सरकार कर रही थी और आमदनी कंपनी ले रही थी. फर्जी फिटनेस टेस्ट करके पैसा लिया जा रहा था. सीबीआई ने जांच करके अपनी रिपोर्ट दिल्ली सरकार को दी लेकिन उसके बावजूद उपराज्यपाल ने दिल्ली एंटी करप्शन ब्रांच को मामला दर्ज करने की अनुमति नहीं दी थी.
IANS से भी इनपुट
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