नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि पीओके में भारतीय सेना की ओर से किए गए सर्जिकल स्ट्राइक से जुड़े किसी भी सबूत को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा.
इनख़बर से जुड़ें | एंड्रॉएड ऐप्प | फेसबुक | ट्विटर सरकार का मानना है कि सबूत सार्वजनिक होने से दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका बढ़ सकती हैं. हालांकि सरकारी सूत्रों ने कहा है कि इस वक्त भारत युद्ध करने के समर्थन में नहीं है. लेकिन अगर फिर भी युद्ध के हालात बनते हैं तो भारत लड़ने और जीतने के लिए तैयार है.
सूत्रों ने सर्जिकल स्ट्राइक को भारत की डिप्लोमेटिक सक्सेस करार देते हुए कहा कि किसी भी देश ने भारत के इस एक्शन का विरोध नहीं किया है. पाक के करीबी माने जाने वाले चीन ने भी सपोर्ट किया है. इस्लामिक देशों ने भी इस कार्रवाई पर भारत की पीठ थपथपाई है.
बता दें कि कि 27-28 सितंबर की रात को भारतीय सेना ने पीओके में आतंकी लॉन्चपैड पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी. इसमें बड़ी संख्या में आतंकी मारे गए थे. भारत की ओर से यह कार्रवाई उरी हमले के जवाब में की गई थी.
रिपब्लिक डे पर चीफ गेस्ट अबु धाबी के प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यां रहेंगे. इसका फैसला भी सर्जिकल स्ट्राइक के बाद लिया गया. ये भी सरकार की डिप्लोमेटिक स्ट्रैटजी का हिस्सा है. अफसरों के अनुसार सरकार मानती है कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद दुनियाभर से आए रिएक्शन से पाक का मनोबल गिरा है.
बता दें कि भारत में सर्जिकल स्ट्राईक पर काफी राजनीति की गई. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तो पाकिस्तान को सबूत देने की बात तक कही. सरकार का मानना है कि डीजीएमओ के बयान को ध्यान में रखना चाहिए जिसमें उन्हें वीडियो जारी करना इस खुफिया मिशन को सामने आने का संकेत दिया था. डीजीएमओ ने कहा था कि इससे सेना की तैयारी प्रभावित हो सकती है. सरकार का पक्ष यह बताता है कि सरकार किसी तरह की राजनीति में नहीं पड़ना चाहती है.