नई दिल्ली. एनसीईआरटी ने सरकार को यह सलाह दी है कि बच्चों को आठवीं कक्षा तक पास करने के नियम को खत्म न किया जाए. यह नियम यूपीए सरकार के समय लाया गया था. इसकी आलोचना के बाद सरकार इसे हटाने पर विचार कर रही है.
टाइम्स आॅफ इंडिया की खबर के मुताबिक एनसीईआरटी के निदेशक ऋषिकेश सेनापति का कहना है कि इस नियम के बनने से स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या कम हो गई थी. अगर यह नियम हटता है तो ये संख्या फिर से बढ़ सकती है.
सलाहकार निकाय ने भी मानव संसाधन मंत्रालय (एचआरडी) को यही राय दी थी. दोनों जगहों से आई यह राय एचआरडी मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के उन प्रयासों के उलट है, जिनमें वह शिक्षा के अधिकार कानून के तहत इस नियम को खत्म करना चाहते हैं.
ठीक से लागू करना है जरूरी
एचआरडी मंत्रालय ने अगस्त में यह मामला इस नियम को खत्म करने के तरीके पर सलाह देने के लिए कानून मंत्रालय को भेजा था. ऋषिकेश सेनापति का कहना है कि इस नियम में कुछ गलत नहीं है बस सरकार इसे ठीक तरह से लागू नहीं कर पा रही है. इसे हटाना सही समाधान नहीं है. एनसीईआरटी ने मंत्रालय को अपनी नजरिया बता दिया है लेकिन यह बाध्य नहीं है. यह एक राजनीतिक फैसला है.
उन्होंने कहा कि लोगों का मानना है कि इस नियम के कारण शिक्षा का स्तर गिर रहा है इसलिए इसे हटाने की मांग की जा रही है. लेकिन, उसके बाद क्या होगा. हमें इसे लागू करने में आने वाली समस्याओं को समझना होगा. बिना किसी परीक्षा और पढ़ाई के हम लगातार बच्चों एक क्लास के बाद दूसरी में भेज रहे हैं. ये ही समस्या है. पर हम इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं.