नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए अनुचित व्यापार व्यवहार व भ्रामक विज्ञापनों के लिए नेस्ले को राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग में घसीटा है. भारतीय उपभोक्ताओं की ओर से उपभोक्ता मामलात विभाग ने अब आयोग में शिकायत दायर की है. यह कदम एफएसएसएआई के उस आदेश पर आधारित है जिसमें कहा गया है कि नेस्ले अनुचित व्यापार व्यवहार तथा भ्रामक विज्ञापन जारी करने में संलिप्त रही है.
मैगी पर लग सकता है जुर्माना
एफएसएसएआई ने इस उत्पाद को असुरक्षित और मानव उपभोग के लिए खतरनाक बताते हुए इसे बाजार से वापस लिए जाने का आदेश दिया है. उन्होंने कहा, हमने इस मामले में अतिरिक्त सालिसिटर जनरल की राय मांगी है और सरकार की ओर से वह आयोग में उपस्थित होंगे. यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार अर्थ दंड की मांग भी कर रही है, सूत्रों ने कहा- अगर आयोग फर्म को गलत पाता है तो उसके पास अर्थ दंड लगाने का अधिकार है.
अब गोवा ने भी लगाया मैगी पर बैन
गोवा आज मैगी की बिक्री पर रोक लगाने वाला 11वां राज्य हो गया. इसके अलावा केंद्र ने संकेत दिए कि कुछ और फास्ट फूड उत्पादों की भी जांच हो सकती है. गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर ने मैगी पर पाबंदी की घोषणा की, जो खाद्य सुरक्षा चिंताओं को लेकर देश भर में विवाद के केंद्र में है.
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