नई दिल्ली. पाकिस्तान में घुसकर भारतीय सेना की ओर से की गई सर्जिकल स्ट्राइक पर हर कोई अपनी तरीके से विश्लेषण कर रहा है. लेकिन पाकिस्तान में जन्मेे पत्रकार तारेक फतेह का कहना है कि वास्तव में भारत हजार सालों में पहली बार बाबर के खिलाफ खड़ा हुआ है.
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एक निजी चैनल के कार्यक्रम में उन्होंने भारत-पाकिस्तान के संबंधों और धार्मिक कट्टरता पर अपनी बेबाकी से राय रखी है. उन्होंने कहा बलूचिस्तान के मुद्दे पर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की भी आलोचना की.
तारेक फतेह ने कहा कि आजादी की लड़ाई में बलूचों का भी योगदान था. बंटवारे के समय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अब्दुल गफ्फार खान उर्फ सीमांत गांधी या बाचा खान नाम खैबर पख्तुनवा को भारत में मिलाना चाहते थे. लेकिन उस समय गांधी जी, नेहरू जी और कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष मौलाना अबुल कलाम आजाद ने भौगोलिक स्थिति और भारत से दूरी की वजह से मना कर दिया.
उन्होंने कहा कि लेकिन अब उरी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक और बलूचिस्तान सहित कई दूसरे मुद्दे उठा रहा है ऐसा लग रहा है कि हजार सालों में पहली बार बाबर के खिलाफ खड़ा हो गया है.
फतेह ने कहा कि जब कराची से ढाका पर शासन किया जा सकता था तो जैसलमेर से मात्र 200 मील की दूर बलूचिस्तान पर भारत शासन क्यों नहीं कर सकता था.
पाकिस्तानी पत्रकार ने पाकिस्तान के अंदर चल रही उथल-पुथल और राजनीति का जिक्र करते हुआ कहा कि वहां के पंजाबी मुसलमानों ने हर जगह कब्जा कर रखा है. इसलिए पाकिस्तान में धीरे-धीरे अब अलगाववाद सुलग रहा है.
आपको बता दें कि तारेफ फतेह अब पाकिस्तान में नहीं रहते हैं वह अब कनाडा की नागरिकता ले चुके हैं. उन पर आरोप है कि वह भारत की नागरिकता लेने के चक्कर में हिंदू कट्टरपंथियों की भाषा बोलते हैं.
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