हैदराबाद. एक 13 साल की लड़की की 68 दिनों तक उपवास रखने के बाद मौत हो गई. लड़की जैन परिवार से है. उसने जैन धर्म के पवित्र दिनों ‘चौमासा’ के दौरान व्रत किया था. उपवास तोड़ने के दो दिन बाद उसकी मौत हो गई.
हैदराबाद की रहने वाली आराधाना आठवीं क्लास में पढ़ती थी. आराधना के परिवार की सिकंदराबाद के पोट बाज़ार इलाके में गहनों की दुकान है. वह 68 दिनों से उपवास पर थी और सिर्फ पानी पीकर रह रही थी. व्रत के शुरुआती दिनों में वह स्कूल जाती थी लेकिन बाद में उसने स्कूल जाना भी छोड़ दिया. उपवास खोलने के बाद आराधना बोहोश हो गई थी. फिर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसकी दिल के दौरे से मौत हो गई.
जहां परिवार इसे एक हादसा मान रहा है वहीं कई लोगों ने इतनी छोटी बच्ची के 68 दिनों तक उपवास रखने और इसे महिमामंडित करने पर आपत्ति जताई है. यह मामला 2 अक्टूबर का है और बलाला हक्कुला संगम के अच्युत राव ने 7 अक्टूबर को पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज कराई. शिकायतकर्ता का कहना है कि परिवार ने अपने किसी फायदे के लिए लड़की से व्रत रखवाया था. लेकिन, परिवार का कहना है कि आराधना ने अपनी मर्जी से व्रत रखे थे. इससे पहले वह 41 दिनों का उपवास रख चुकी थी.
व्रत रखने पर उठे सवाल
आराधना की व्रत में सेहत गिरने लगी थी. वह अपनी तस्वीर में भी कमजोर नजर आ रही है. उसके घरवाले रोज उसे किसी देवी की तरह सजाते थे. 68 दिन का उपवास खत्म होने के बाद अखबार में आराधना का जो विज्ञापन छपा था उसमें सिंकदराबाद इलाके के मंत्री पद्म राव गौड़ को व्रत खोलने के कार्यक्रम का मुख्य अतिथि बताया गया था. ज़हीराबाद के सांसद बीबी बाटिल भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे.
आराधना के अंतिम संस्कार में कम से कम 600 लोग आए थे, जो उसे ‘बाल तपस्वी’ कह रहे थे. उसकी शव यात्रा को ‘शोभा यात्रा’ का नाम दिया गया. हालांकि, एक बच्ची के इस तरह व्रत करने और परिवार के सबकुछ चुपचाप देखने पर सवाल उठ रहे हैं. लोगों का पूछना है कि आखिर क्यों लड़की को स्कूल छुड़वाकर व्रत कराया गया. जैन समुदाय के कुछ लोगों ने भी इसे गलत ठहराया है.