नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि महिला द्वारा पति को उसके मां-बाप से अलग रहने के लिए मजबूर करना अत्याचार है और ये तलाक का आधार हो सकता है. कोर्ट ने पत्नी द्वारा सुसाइड की धमकी देने को भी अत्याचार मानते हुए उसे भी तलाक का आधार करार दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि बार-बार खुदकुशी की धमकी देना भी अत्याचार माना जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाईकोर्ट के एक आदेश को रद्द करते हुए फैसला सुनाया है.
बता दें कि हाईकोर्ट ने निचली अदालत के उस फैसले को रद्द कर दिया था जिसमें निचली अदालत ने बार-बार खुदकुशी की धमकी देने को अत्याचार मानते हुए तलाक की इजाजत दे दी थी.
पत्नी द्वारा सुसाइड की धमकी देने को भी कोर्ट ने माना अत्याचार और तलाक का आधार
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पति को अगर पत्नी बार-बार सुसाइड करने की धमकी दे तो ऐसे हालात में वो सुकून महसूस नहीं कर सकता. अगर पत्नी आत्महत्या कर लेती है तो पति की पूरी जिंदगी तबाह हो सकती है.
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि साधारण परिस्थिति में पत्नी शादी के बाद पति के परिवार के साथ रहती है. अगर पत्नी अलग रहने को कहती है तो उसका कोई ठोस कारण होना चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि ये पत्नी का ये जिद निराधार है कि वो अपने पति के साथ अकेले रहना चाहती है. अगर पत्नी ऐसा करती है तो उसे अत्याचार माना जायेगा और ये तलाक का आधार होगा.