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अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक इलाहाबाद हाईकोर्ट से रिटायर जज जस्टिस एके रुपनवाल ने 41 पन्नों की रिपोर्ट में कहा है कि कि वेमुला को जिन कारणों से हॉस्टल से निकाला गया था वह पूरी तरह सही था.
इस दौरान आयोग ने ज्वाइंट एक्शन समिति से भी पूछताछ की थी जिसे रोहित की मौत के बाद गठित किया गया था.
जिसके बाद पूरे देश में केंद्र सरकार के खिलाफ दलितों के साथ भेदभाव करने के आरोप में प्रदर्शन हुए थे. इन विरोध प्रदर्शन के दौरान एबीवीपी और बीजेपी को भी निशाने पर लिया गया था.
इस पूरे मामले पर संसद में भी बहस हुई थी. रोहित की मौत के बाद केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से पूरे मामले की जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग गठन किया गया था.
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