इस्लामाबाद. पाकिस्तान के अखबार डॉन में छपी खबर के मुताबिक उरी हमले के बाद पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ चुके पाकिस्तान ने अब अपनी सेना से कहा है कि वह जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के साथ कड़ी कार्रवाई करे.
अखबार ने लिखा है कि नवाज शरीफ सरकार अधिकारियों ने सेना से इस मुद्दे पर बहस भी की है. बताया जा रहा है कि इस उच्चस्तरीय बैठक में हुई चर्चा को पूरी तरह गुप्त रखा गया है. जिसमें पाकिस्तान के विदेश सचिव अजीज चौधरी ने एक प्रजेंटेशन पेश किया जिसमें कूटनीतिक मोर्च पर हुई पाकिस्तान की छीछालेदर पर चर्चा की गई है.
इसके साथ ही सेना को कहा गया है कि अगर सरकार किसी भी आतंकी संगठन के खिलाफ कोई ऐक्शन लेती है तो सेना उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी. इसके अलावा भारत के पठानकोट मे हुए हमले की जांच सहित मुंबई हमले के मामले की सुनवाई फिर से शुरू की जाएगी जो रावलपिंडी की आतंकवाद निरोधी अदालत में चल रही थी.
बताया जा रहा है कि इस बैठक में हुए फैसलों को साझा करने के लिए आईएसआई के चीफ रिजवान अख्तर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नासिक जुंजा सभी राज्यों का दौरा करेंगे और वहां स्थित आईएसआई के क्षेत्रीय कार्यालयों के और अधिकारियों को बताएंगे.
अखबार में लिखा गया है कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुखिया शहबाज शरीफ और आईएसआई के आधिकारियों के बीच इस बैठक में गर्मागरम बहस हुई भी है. जिसमें शहबाज शरीफ ने खुले तौर पर आरोप लगाया कि जब आतंकी संगठनों पर कार्रवाई की जाती है तो सुरक्षा एजेसियां उनके पक्ष में खड़ी हो जाती हैं और उनको कानून के शिकंजे से छुड़वा दिया जाता है.
आपको बता दें कि मंगलवार को हुई इस अति गोपनीय बैठक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी मौजूद थे. उनके अलावा पूरी कैबिनेट, सभी राज्यों के प्रमुख, विदेश सचिव और सेना की ओर से आईएसआई के चीफ मौजूद थे.
इस बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि पाकिस्तान और अमेरिका के बीच संबंध लगातार बिगड़ रहे हैं. अगर पाकिस्तान ने हक्कानी नेटवर्क सहित आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की तो इन संबंधों में और दरार पड़ जाएगी.