नई दिल्ली. जहां भारत की एलओसी के पार सर्जिकल स्ट्राइक की सच्चाई पर सवाल उठ रहे हैं वहीं, पाकिस्तान के लोगों ने ही इसकी पुष्टि की है. भारत ने 28 सितंबर देर रात को पीओके में घुसकर आतंकी ठिकानों पर हमला बोला था. ये जानकारी सार्वजनिक होने के बाद पाकिस्तान लगातार सर्जिकल स्ट्राइक होने से इनकार कर रहा है. भारत में भी राजनीतिक दल इस पर सवाल उठा रहे हैं.
इस बीच
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार चश्मदीदों ने सर्जिकल स्ट्राइक होने की पुष्टि की है. उन्होंने पाकिस्तान की तरफ से एलओसी के नजदीक स्थित गांवों में शवों को ले जाने से लेकर इमारतों के नष्ट होने तक की बात कही है.
कुछ चश्मदीदों ने बताया है कि किस तरह 29 सितंबर को सुबह होने से पहले सर्जिकल स्ट्राइक में मारे गए लोगों के शवों को चुपचाप दफनाने के लिए ट्रक पर लादा गया. उन्होंने आग लगने के बारे में भी बताया, जिससे जिहादियों के अस्थायी ठिकाने नष्ट हो गए थे. इन ठिकानों का इस्तेमाल आतंकी एलओसी पार करने से पहले ठहरने के लिए करते हैं.
भातर में रह रहे रिश्तेदारों के जरिए बातचीत
इन चश्मदीदों के बयानों से भारत के सर्जिकल स्ट्राइक के दावे की पुष्टि होती है. लोगों ने स्ट्राइक के लिए लक्षित की गईं ऐसी जगहों की जानकारी भी दी जिनके बारे में अब तक पाकिस्तान और भारत की सरकार ने सार्वजनिक तौर पर कोई जानकारी नहीं दी थी.
हालांकि, प्रत्यक्षदर्शियों और खुफिया रिकॉर्ड से मिली जानकारी के अनुसार भारत सरकार और खबरों में बताई गई 38 से 50 मारे गए आतंकियों की संख्या और कम हो सकती है. साथ ही जिहादियों और उनके बुनियादी ढांचे को भी ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा है.
अखबार के द्वारा पाकिस्तान के पांच चश्मदीदों से भारत में एलओसी के पास रह रहे रिश्तेदारों के जरिए बात की गई थी. उनसे चैट के जरिए हुए बातचीत में ये जानकारियां मिली हैं. हालांकि, सुरक्षा के नजरिए से चश्मदीदों की पहचान उजागर नहीं की गई है.
नष्ट हुई इमारत और सुनी धमाके की आवाज
एलओसी से चार किमी. दूर दुधनियाल से दो चश्मदीदों ने बताया कि इस छोटे गांव के मुख्य बाजार से अल-हवाई ब्रिज के पास एक इमारत गिरी देखी है, जहां एक सैन्य चौकी और अहाता है, जिसका इस्तेमाल लश्कर करता है. दोनों ने यह भी जानकारी दी कि अल-हवाई ब्रिज वह आखिरी बिंदु है जहां से घुसपैठ करने वाले समूह अपने साथ सामान लोड करते हैं और फिर एलोसी के रास्ते कुपवाड़ा निकलते हैं.
स्थानीय निवासियों ने एक प्रत्यक्षदर्शी को बताया कि देर रात अल-हवाई ब्रिज के पार 84-एमएम कार्ल गुस्ताव राइफल्स से धमाके की आवाज, संभवता फायरिंग सुनी गई थी. लेकिन, लोग बाहर यह देखने नहीं आये की क्या हो रहा है. इसलिए उन्होंने भारतीय सैनिकों को नहीं देखा लेकिन सुबह लश्कर की ओर से लोग आए थे. लोगों ने बताया कि अगली सुबह पांच या छह शव ट्रक में लोड किए गए थे और संभव है कि उन्हें छालना में नजदीकी लश्कर के बड़े कैंप में ले जाया गया, जो एलओसी पर तीतवाल से नीलम नदी के पार है.
अस्पताल में आतंकियों के मरने की खबर
एक अन्य चश्मदीद ने बताया कि छालना में लश्कर से जुड़ी एक मस्जिद में शुक्रवार की नमाज इस तकरीर के साथ खत्म हुई कि पिछले दिन मारे गए लोगों का बदला लिया जाएगा. वहां इकट्ठे हुए लश्कर के लोगों ने पाकिस्तनी सेना को सीमा की सुरक्षा में नाकाम होने के लिए जिम्मेदार ठहराया. पूरी जानकारी के आधार पर यह भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि आतंकी भारत के इस हमले के लिए तैयार नहीं थे.
लीपा, 25 छोटे गांव का कॉम्प्लेक्स है, जो एलओसी पर भारत की तरफ मौजूद नौगाम के ऊपर पहाड़ों से बहने वाली काजी नाग धारा के नीचे स्थित है. यहां सर्जिकल स्ट्राइक में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था. चश्मदीद ने खुद उस जगह नहीं जा पाया था लेकिन स्थानीय नागरिकों ने बताया कि खैराती बाग के पास गांव में भारतीय सेना ने लश्कर के कब्जे वाली तीन मंजिला लकड़ी की इमारत को नष्ट कर दिया था.
चश्मदीदों का अनुमान है कि सर्जिकल स्ट्राइक काथा नार धार, जो शहर के उत्तर में नीलम नदी से मिलती है, के पास स्थित सैन्य शिविरों में हुई होगी. एक चश्मदीद ने यह भी बताया कि अतमुकाम जिला स्थित नीलम जिला अस्पताल में उसने सुना था कि पिछली गुरुवार की रात को लश्कर के कई लोगों के मरे और घायल होने की खबर सुनी थी लेकिन किसी भी शव सार्वजनिक तौर पर नहीं दफनाया गया. अन्य चश्मदीदों ने यह भी बताया कि नीलम नदी के पूर्वी तट पर आग और धमाके की आवाज भी सुनाई दी थी.