मुंबई. थोड़ी ही देर में आरबीआई के नए गवर्नर उर्जित पटेल नई व्यवस्था के तहत मौद्रिक नीति की घोषणा करने वाले हैं. मौद्रिक नीति समिति यानी एमपीसी की बैठक सोमवार को ही शुरू हो गई थी. इसके अध्यक्ष उर्जित पटेल ही हैं.
समिति की बैठक में इस बात पर चर्चा की गई है कि विकास की गति को तेज करने के लिए ब्याज दरों में कटौती की जानी चाहिए या नहीं. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि खुदरा महंगाई और वैश्विक हालात को देखते हुए में दरों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा.लेकिन आने वाले दिनों में इसमें कटौती की पूरी उम्मीद है.
इस बार खास है मौद्रिक समीक्षा
देश में ऐसा पहली बार होगा जब आरबीआई गवर्नर के अधिकार के बिना मौद्रिक नीति की घोषणा की जाएगी. अभी तक इसकी समीक्षा और नीति में बदलाव का अधिकार आरबीआई गवर्नर के पास होता था.
लेकिन मोदी सरकार ने अब इसमें बदलाव कर दिया है. अब बिना एमपीसी के गवर्नर सीधे कोई फैसला नहीं कर सकते हैं. यानी समिति के सदस्य ही कोई फैसला करेंगे वही मान्य होगा. लेकिन अगर कोई फैसला में टाई की स्थिति आती है तो उसमें आरबीआई का वोट सबसे अहम होगा.
नरमी की उम्मीद
अगस्त 2016 के आंकड़ों के मुताबिक रिटेल महंगाई दर काफी नीचे रही है. दालों और सब्जियों की कीमतें भी ठीक थीं और मानसून भी अच्छा रहा था. लेकिन औद्योगिक उत्पादन की दर काफी खराब थी. बैंकों की ओर से कर्ज भी नहीं दिए जा रहे हैं. ऐसे में उम्मीद है कि ब्याज दरों में आने वाले महीनों में कटौती की जा सकती है.
बैकिंग सेक्टर की आस
आरबीआई के नए गवर्नर उर्जित पटेल से बड़ी उम्मीद है कि वह बैंकिंग सेक्टर के लिए बड़ा ऐलान कर सकते हैं. हालांकि देखने वाली बात यह होगी कि डिप्टी गवर्नर रहते उनकी सिफारिशों पर जो अमल नहीं हो पाया उन्हें कब तक लागू करवा पाते हैं.