नई दिल्ली. दरअसल सर्जिकल स्ट्राइक वो हथियार है जिससे पाकिस्तान तो एबटाबाद के वक्त से वाकिफ है लेकिन आतंकियों का इस हथियार से पहले कभी सामना नहीं हुआ. इसीलिए वो समझ नहीं पा रहे कि अब अगली रणनीति बनाएं तो क्या. क्योंकि सर्जिकल स्ट्राइक करनेवाले कमांडों ऐसे ही हमले के लिए तैयार किए जाते हैं. और इससे पहले कि दुश्मन कुछ समझे वो काम को खत्म कर लौट भी आते हैं.
सर्जिकल स्ट्राइक से नहीं इन कमांडो से खौफ खाते है. दुश्मन के लिए चलती फिरती मौत है. ये कमांडो सिर्फ मौत और कुछ नहीं. सामने आ जाए तो दुश्मन इनसे जिंदगी लेकर नहीं जा सकता. हाड़ मांस के बने है तो इंसान ही .लेकिन इंसानों जैसा कुछ नहीं इनमें मौत के लिए बनाई गई है. मशीन कहिए इन्हें दुश्मन को मांद में घुसकर मारने में महारत होती है.
इनमें पीओके में 50 आतंकियों का खात्मा इन कमांडो ने एलओसी से तीन किलोमीटर अंदर जाकर चार ठिकानों में किया था और दो घंटे में आपरेशन खत्म कर सभी कमांडों अपनी सीमा में दाखिल हो गए. सामान्य इंसान की सोच से परे है इनका हुनर और इनकी
जिन कमाडों ने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया और 50 आतंकियों को मार गिराया.
कैसे होती है सर्जिकल स्ट्राइक
अंधेरा होते ही एलओसी के पास चॉपर से इन कमाडों की पांच टीम टारगेट किए गए अलग अलग स्थानों पर उतरी.सर्जिकल स्ट्राइक कमाडोंस के निशाने पर थे.एलओसी के पार चार ठिकाने. जिसमें पहला था, केल दूसरा था लिपा तीसरा था तातापानी और चौथा था भिंबर. हर टीम में कमांडो की संख्या थी. 15 से 20 जैसे ही रात के ढाई बजे.कमाडोस की टीम ने.एलओसी को पार किया और तकरीबन ढाई से तीन किलोमीटर अंदर की तरफ पैदल बिना किसी को भनक लगे पहुंच गए और इस ऑपरेशन को अंजाम दिया.