नई दिल्ली. भारतीय सेना के स्पेशल पारा कमांडोज की सात से आठ टुकड़ियां चार जगहों से PoK में घुसी. पहली जगह पुंछ यहां से एक टुकड़ी तातापानी कैंप के पास पहुंची. खबर है कि तीन टीमें नौशेरा के नजदीक से पीओके में घुसी और उसने भिंबर टेरर कैंप को घेर लिया. कुपवाड़ा के ठीक सामने से दो टीमें करीब 2 किलोमीटर कीचड़ और पथरीले रास्तों से रेंगकर पहुंची और लिपा आतंकवादी कैंप को घेरा.
मेंढर और माछिल से इंडियन आर्मी के पारा कमांडो की दो टीमें केल टेरर कैंप तक पहुंची। इस तरह चार रास्तों से 150 से अधिक कमांडो 3 किलोमीटर पर तक पैदल, कीचड़ में, और नदी के किनारे पत्थरों पर चलते हुए कई जगहों पर पाकिस्तानी सेना के लैंडमाइंस को पार करते हुए चारों आतंकी कैंप को चक्रव्यूह की तरह घेर लिए. रात में करीब ढाई बजे अचानक चारों तरफ से इन पारा कमांडोज ने हमला बोल दिया.
ख़बर है कि करीब 2 घंटे तक ये ऑपरेशन चला और इस घंटे में चारों जगहों पर आतंकवादियों के 7 कैंप तबाह हो गए. भारतीय सेना कह रही है कि पाकिस्तान का हैवी डैमेज हुआ है. हालांकि मारे गए आतंकियों की कोई पक्की संख्या नहीं बताई जा रही. लेकिन सूत्र बता रहे हैं मरने वाले आतंकियों की संख्या 50 तक हो सकती है. जिसमें कुछ पाकिस्तान रेंजर्स के जवान भी हो सकते हैं. ये संख्या तब है जब इस इलाके में मौजूद 12 से ज्यादा आतंकी कैंप में से सिर्फ 7 को टारगेट किया गया. क्योंकि खुफिया खबरें इन्हीं के बारे में पक्की थी.
भारतीय सेना की इन पारा कमांडोज को दुनिया के टॉप थ्री कमांडोज में गिना जाता है. जिसकी सबसे बड़ी खूबी है मुश्किल से मुश्किल और कभी कभी नामुमकिन से लगनेवाले ऑपरेशन को पूरा कर लेना. ऐसा नहीं कि इसमें शामिल जवान केवल आर्मी से चुने जाते हैं. सेना,पारा मिलिट्री के किसी भी विंग का जवान पैरा कमांडो की टुकड़ी का हिस्सा बन सकता है.
कोई जवान चाहे तो अपनी मर्जी से इस टुकड़ी का हिस्सा बनने के लिये खुद को ताकत में लोहा और फुर्ती में चीते जैसा साबित कर पैरा कमांडो बन सकता है. लेकिन यह भी सच है कि सेना की किसी एक यूनिट से ज्यादा जवान पैरा कमांडोज के लिए नहीं लिए जाते, क्योंकि ज्यादातर मौके पर इनका इस्तेमाल खुफिया ऑपरेशन में किया जाता है.
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