नई दिल्ली. पाकिस्तान में घुसकर किए गए सर्जिकल स्ट्राइक में भारतीय कमांडो के पीछे एक और बड़ी ताकत लगी थी जो इनके लिए आंख और कान का काम रही थी. दरअसल इस पूरे अभियान की सफलता के पीछे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का बड़ा हाथ है.
इनख़बर से जुड़ें | एंड्रॉएड ऐप्प | फेसबुक | ट्विटर बीते 22 जून को इसरो ने कारटेसैट-2 नाम के सेटेलाइट का प्रक्षेपण किया था. इसकी मदद से ही भारतीय सेना को बताया गया था कि पाकिस्तान में कहां पर कितने आतंकवादियों के कैंप हैं. जिन कैपों को ध्वस्त न करना था उनकी तस्वीर भी इस सैटेलाइट से ली गई थीं.
पाकिस्तान के चप्पे-चप्पे पर है नजर
लोगों को सिर्फ इसरो के बारे में इतना पता है कि मंगल और चांद पर जाने जैसे अभियानों पर ही काम करता है. लेकिन वास्तविकता यह है कि देश की यह एजेंसी सुरक्षा के लिए सबसे अहम भूमिका निभा रही है.
इसमें काम करने वाले वैज्ञानिकों ने अपनी मेहनत और कम बजट के बावजूद इतनी क्षमता विकसित कर ली है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के घर के बाहर कितनी कारें खड़ी हैं उसे भी आसानी से सैटेलाइट के माध्यम से देखा जा सकता है.
इसके साथ ही पाकिस्तान के टैंक, ट्रक और लड़ाकू विमान को गिना जा सकता है. इसरो से जुड़े सूत्रों की मानें तो भारत की इस एजेंसी ने इतना बड़ा तंत्र विकसित कर लिया है कि सीमाओं पर होनी वाली हर हरकत पर आसानी से नजर रखी जा सकती है और सेनाओं को भी सूचना देती है.
वीडियो बनाने की क्षमता
कारटोसेट-2 सीरीज के उपग्रह एक मिनट तक का वीडियो बना सकते हैं. पाकिस्तान के पास ऐसा अंतरिक्ष कार्यक्रम अभी तक शुरू नहीं हो पाया है. चीन के पास भी इस तरह की सुविधा नही है.
किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार
इसरो ने पृथ्वी की कक्षा में 33 उपग्रह भेजे हैं. एक उपग्रह मंगल की कक्षा में भी है. इनमें से 12 संचार, 7 दिशा बताने वाले, 4 मौसम की जानकारी देने वाले, 10 पृथ्वी पर्यवेक्षण उपग्रह हैं. इन उपग्रहों से भारत के सुरक्षा तंत्र को भी मजबूत बनाया गया है.