नई दिल्ली. नोबेल पुरस्कारों के जनक अल्फेर्ड नोबेल ने इस पुरस्कारों की शुरुआत उन लोगों के लिए की थी जिनके आविष्कार या प्रयासों से मनुष्यों का कल्याण हुआ हो. एक बार दिया गया नोबेल पुरस्कार कभी वापस नहीं लिया जा सकता इसलिए इन पुरस्कारों को देने वाली ज्यूरी बहुत सोच समझ कर इसके विजेताओं के नामों का ऐलान करती है.
इन पुरस्कारों के साथ कुछ विवाद भी जुड़े है. 1918 में फ्रिट्ज हबर नामक जर्मन वैज्ञानिक को अमोनिया के आविष्कार के लिए रसायनशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया जबकि 1915 में ही उन्होंने मित्र देशो के खिलाफ सबसे बड़े क्लोरीन गैस हमले को अंजाम दिया था, उस समय ये बात ज्यूरी ने नज़रअंदाज कर दी थी . 1948 में स्विस वैज्ञानिक पॉल मुलर को डिडिटी के आविष्कार के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया पर 2001 में डिडिटी के इस्तेमाल पर पूर्ण पाबन्दी लगा दी गयी.
महात्मा गांधीको पांच बार से भी अधिक समय तक नोबेल पुरस्कार के लिए नामाकिंत किया गया पर इसके बाद भी उन्हें कभी भी नोबेल पुरस्कार नहीं मिला. नोबेल पुरस्कारों की ज्यूरी ने भी माना की उनसे इस मामले में चूक हुई थी. बाद में महात्मा गांधी की मृत्यु के 41 साल बाद नोबेल पुरस्कारों की ज्यूरी कमिटी ने गांधी को श्रद्धांजलि देते हुए 1989 का शांति का नोबेल पुरस्कार दलाई लामा को दिया.