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सेना प्रमुख दलबीर सिंह क्यों बांधते हैं होंठों के नीचे स्ट्रिप, क्या जानते हैं आप?

भारत की एलओसी के पार सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारतीय सेना की हिम्मत और काबिलियत की दाद दी जा रही है. लेकिन, सेना का साहस और ताकत ही नहीं बल्कि उनकी यूनिफॉर्म और अनुशासन भी लोगों को प्रभावित करते हैं.

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  • October 2, 2016 4:44 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. भारत की एलओसी के पार सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारतीय सेना की हिम्मत और काबिलियत की दाद दी जा रही है. लेकिन, सेना का साहस और ताकत ही नहीं बल्कि उनकी यूनिफॉर्म और अनुशासन भी लोगों को प्रभावित करते हैं. भारतीय सेना की विभिन्न रेजिमेंट की यूनिफॉर्म की विविधता लोगों के लिए आर्कषण का केंद्र बनती है. 
 
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सेना की ऐसी ही एक प्रमुख रेजिमेंट है, गोरखा रेजिमेंट. यह अपनी तेजी और अद्भुत घातक हमलों के लिए जानी जाती है. इस रेजिमेंट की एक खास बात यह है ​कि इसके सैनिक अपनी हैट की स्ट्रिप होंठ के नीचे पहनते हैं जबकि अन्य रेजिमेंट के जवान ये स्ट्रिप ठोड़ी के नीचे पहनते हैं. 
 
सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग को भी कई बार ऐसे ही हैट पहने देखा जा सकता है. उन्हें 16 जून 1974 को ‘गोरखा राइफल’ की चौथी बटालियन में कमीशन किया गया था. इस खास तरीके से हैट पहनने के विशेष कारण हैं, जो सेना के लिए फायदेमंद भी साबित होते हैं.
 
छोटा कद होना एक कारण
इसका पहला कारण है गोरखा रेजिमेंट के सैनिकों की लंबाई. दरअसल, पहाड़ी इलाकों से होने के कारण रेजिमेंट के सैनिकों की लंबाई सेना के अन्य जवानों से कम होती है. इसके पीछे आनुवांशिक कारण होने के चलते उन्हें भर्ती में भी इसकी छूट दी जाती है.
 
गोरखा रेजिमेंट के जवान लंबाई में अन्य सैनिकों के बराबर दिखें इसके लिए भी स्ट्रिप को होठों के नीचे पहना जाता है. इससे लंबाई थोड़ी ऊंची लगने लगती है. हालांकि, उनकी लंबाई का उनकी काबिलियत और दुश्मन को चित्त कर देने वाली क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ता. 
 
दुश्मन को हमले की खबर न हो
इसका दूसरा कारण कुछ हास्यास्पद है. दरअसल, माना जाता था कि गोरखा रेजिमेंट के सैनिक ज्यादा बातें करते हैं. जंग के दौरान वे चिल्लाते हुए दुश्मन पर हमला करते थे, जिससे दुश्मन चौकन्ना हो जाता था. इसके समाधान के लिए कैप की स्ट्रिप की लंबाई को कम किया गया ताकि सैनिकों का मुंह बंद रहे और वे कम ​चिल्ला सकें.
 
हमले से बचने में मददगार
कैप की स्ट्रिप ठोड़ी के नीचे होने से पीछे से हमला होने पर ज्यादा नुकसान होने की संभावना जताई जाती है. दुश्मन टोपी पीछे खींचकर स्ट्रिप से सैनिक का गला घोंटने में कामयाब हो सकता है. अगर स्ट्रिप होंठ के नीचे हो तो पीछे से खींचने पर टोपी उतर जाती है और हमले का नुकसान कम होता है. कुछ लोग ये कहते हैं कि होठों के नीचे स्ट्रिप पहनने की परंपरा की शुरुआत अंग्रेजों के समय से हुई है. 

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