पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पटना हाईकोर्ट ने करारा झटका देते हुए शराबबंदी एक्ट को गैरकानूनी घोषित कर दिया है. एक मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने शराबबंदी पर ये टिप्पणी की है. इसी साल अप्रैल में बिहार में शराब पर पूरी तरह बैन लगाया गया था.
पटना हाईकोर्ट के इस फैसले को बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. आज पटना हाई कोर्ट में नए उत्पाद अधिनियम पर सुनवाई शुरु हुई. कोर्ट ने तमाम दलीलों को सुनने के बाद इस नए कानून को गलत करार दिया और रद्द करने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा है कि राज्य में अब देशी शराब पर प्रतिबंध रहेगी लेकिन विदेशी शराब पर प्रतिबंध नहीं होगा.
बिहार सरकार इस कानून को और ज्यादा सख्ती से लागू करने की कोशिश में है. यही नहीं नीतीश कुमार इस पहल को दूसरे राज्यों में भी अपनी पहुंच बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने अपराध के आंकड़ों के जरिए भी अपने इस फैसले को सही ठहराने की कोशिश की थी. पुलिस द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू करने के बाद अपराध दर में 27 प्रतिशत की कमी आई है.
नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले लोगों से ये वादा किया था कि सत्ता में वापस आने के बाद वे शराब बैन कर देंगे. इसी वादे को पूरा करते हुए 1 अप्रैल 2016 से राज्य में न सिर्फ शराब बेचने, बल्कि शराब रखने और पीने पर भी पूरी तरह बैन लगाया गया था. उन्होंने महिला संगठनों की मांग को सामने रखते हुए कहा था कि उसी के मद्देनजर ऐसा किया जा रहा है.
नीतीश कुमार ने अगस्त में विधानसभा में कहा कि बिहार में शराबबंदी करने का मतलब मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डालना है. इसमें कुछ भी हो सकता है. हालांकि उन्होंने कहा कि शराबबंदी के मसले पर वो अडिग हैं और किसी भी सूरत में बिहार को नशामुक्त राज्य बनाकर ही दम लेंगे.
विपक्ष भी था विरोध में
तब बीजेपी ने इसे काला कानून और तुगलगी फरमान करार दिया था. बीजेपी नेता नंदकिशोर यादव ने कहा था कि शराब की वजह से उनकी बेटी विधवा हो गई. वो शराबबंदी के खिलाफ नहीं हैं. लेकिन जिस तरीके से नीतीश कुमार शराब पर पाबंदी लगा रहे है, इसका सबसे ज्यादा असर गरीबों पर पड़ेगा. पुलिस जिसको चाहेगी उसे अंदर कर देगी.