कोई उन्हें भारत का जेम्स बांड कहता है तो कोई उनकी तुलना 'तिरंगा' फिल्म के ब्रिग्रेडियर सूर्यदेव सिंह से करता है. लेकिन इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है. वह अपने काम को बखूबी अंजाम देना जानते हैं. आईपीएस होने के बावजूद भी उन्होंने पुलिस की वर्दी पूरी सर्विस के दौरान सिर्फ 7 साल पहनी है. हम आपको बता रहें भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बारे में.
नई दिल्ली. कोई उन्हें भारत का जेम्स बांड कहता है तो कोई उनकी तुलना ‘तिरंगा’ फिल्म के ब्रिग्रेडियर सूर्यदेव सिंह से करता है. लेकिन इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है. वह अपने काम को बखूबी अंजाम देना जानते हैं. आईपीएस होने के बावजूद भी उन्होंने पुलिस की वर्दी पूरी सर्विस के दौरान सिर्फ 7 साल पहनी है. हम आपको बता रहें भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बारे में.
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1- 29 सितंबर की रात को जब भारतीय कमांडो की टुकड़ी को आदेश मिला कि सीमा पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक करना है तो उस पूरे ऑपरेशन के रणनीतिकार अजीत डोभाल ही थे.
2- उनको ऐसे सैन्य अभियानों में महारत हासिल है. पंजाब के आतंकवाद से लेकर पूर्वोत्तर के उग्रवादी संगठनों को ठिकाने लगाने में अजीत डोभाल की भूमिका सबसे आगे रही है. कई भाषाओं के अच्छे जानकार डोभाल पाकिस्तान में भी खूफिया एजेंट बनकर काम कर चुके हैं. उनके बारे में कहा जाता है कि वह पाकिस्तान में 7 साल रहे.
3- डोभाल के बारे में एक बात यह भी कही जाती है कि वह हर तरह के अस्त्र-शस्त्र चलाने में माहिर हैं. पंजाब में खालिस्तान आतंकवादियों से बात करने के लिए वह पाकिस्तान के जासूस बन गए थे और उनके ठिकाने में घुसकर सारी जानकारी हासिल कर ली थी.
4- पूर्वोत्तर में ललडेंगा के मिजो नेशनल फ्रंट से पूरी सरकार परेशान थी. वहां पर यह उग्रवादी संगठन हिंसा फैला रहा था. डोभाल संगठन के 6 कमांडरों से मिले और पता नहीं उनको क्या समझा दिया वह अपने संगठन के साथ ही विद्रोह कर बैठे और मजबूरी में ललडेंगा को समर्पण करना पड़ गया.
5- खुफिया जगत में डोभाल थ्योरी बहुत ही फेमस है. जासूसी की दुनिया में डोभाल को बेहद शातिर और खतरनाक माना जाता है. पाकिस्तान में तो उनके नाम से ही खौफ है. कहा जाता है कि डोभाल का भारत में एनएसए बनते ही पाकिस्तान ने अपने एनएसए सरताज अजीज को हटा दिया था क्योंकि वहां की सरकार को लगता था कि वह डोभाल का सामना नहीं कर पाएंगे.
6- म्यांमार में हुए सर्जिकल स्टाइक के पीछे भी अजीत डोभाल का ही दिमाग था. डोभाल ऐसे पहले पुलिस अधिकारी हैं जिन्हें सैन्य पुरस्कार कीर्ति चक्र से नवाजा गया है. ़
7- कंधार में विमान हाईजैक के दौरान आतंकवादियों से बातचीत के लिए डोभाल ही ने मोर्चा संभाला था.इसके पहले 1971 से लेकर 1999 तक कई विमान हाईजैक की घटनाओं का टाला था.
8- वह 2005 में भारतीय खूफिया विभाग के प्रमुख के पद से रिटायर हुए थे और आरएसएस से नजदीकी रखने वाले संस्थान विवेकानंद फाउंडेशन से जुड़ गए.
9- डोभाल के बारे में एक बात बहुत कम पता है कि उत्तराखंड के पौढ़ी गढ़वाल के सामान्य परिवार में जन्मे डोभाल ने प्रारंभिक शिक्षा अजमेर के मिलिट्री स्कूल में हासिल थी इसके बाद आगरा में अर्थशास्त्र से पोस्टग्रेजुएट किया. वहीं पर वह सिविलि परीक्षा की तैयार में जुट गए और केरल के कैडर के लिए आईपीएस चुने गए.