SC ने बिहार सरकार से पूछा- 45 केस में शहाबुद्दीन को बेल मिला तब सो रहे थे क्या

नई दिल्ली. शहाबुद्दीन की जमानत को रद्द करने की मांग को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को मामले की सुनवाई के दौरान जमकर फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि जब शहाबुद्दीन को लंबित मामलों में जमानत मिली थी तो आखिर सरकार ने चुनौती क्यों नहीं दी?
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सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को कहा, ‘आप ये कह रहे हैं कि मामला बेहद गंभीर है. शहाबुद्दीन के खिलाफ आपने कई आरोप भी लगाए, लेकिन ये बताइये आपने उन 45 लंबित मामलों के लिए कदम उठाये जिनमें शहाबुद्दीन को जमानत मिली. क्या इन मामलों में मिली जमानत को आपने चुनौती दी.’
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार इस मामले को लेकर गंभीर नहीं थी. जब शहाबुद्दीन की तरफ से कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई तो क्या बिहार सरकार का ये फर्ज नहीं बनाता था कि हाई कोर्ट को ये बताया जाए कि निचली अदालत में मामले की स्थिति क्या है. जबकि सरकार जानती थी कि हाईकोर्ट ने मामले का निपटारा 9 महीने की भीतर करने का आदेश दिया था.
कोर्ट ने कहा एक साधारण आदमी भी यही जानना चाहता है कि शहाबुद्दीन जो 4 बार सांसद और दो बार विधायक रहा है उसके खिलाफ अगर इतने मामले लंबित है तो उसमें सरकार ने क्या कदम उठाये हैं. जिन मामलों में शहाबुद्दीन को जमानत दी गई है उसको चुनौती देने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाये ये सवाल जनता के मन भी होंगे. सुप्रीम कोर्ट के सवालों के जवाब में बिहार सरकार ने कहा कि शहाबुद्दीन के खिलाफ कई मामले हैं और लोग डर से इनके खिलाफ गवाही नहीं देना चाहते.
कोर्ट ने कहा शहाबुद्दीन के खिलाफ इतने मामले हैं और सभी में जमानत मिली लेकिन बिहार सरकार ने चुनौती नहीं दी. मानिये किसी के खिलाफ 10 आपराधिक मुक़दमे हैं एक में उसको जमानत मिलती है लेकिन आप उसका विरोध नहीं करते लेकिन जब 10 वें मामले में जमानत मिलती है तो आप नींद से जागकर उसे चुनौती देते हैं.
कोर्ट ने बिहार सरकार को फटकार लगाते हुए कहा ये विचित्र स्थिति कहां से आई, इस स्थिति का जिम्मेदार कौन है. कोर्ट ने कहा कि सब समझ में आता है.
प्रशांत भूषण ने कहा- शहाबुद्दीन कभी सुधर नहीं सकता
वही प्रशांत भूषण की तरफ से कोर्ट में दलील दी गई कि शहाबुद्दीन की जमानत को रद्द किया जाना चाहिए क्योंकि वो कभी सुधर नहीं सकता. लोग उसकी वजह से दहशत में हैं. याचिकाकर्ता चंदा बाबू ने मुझसे कहा, ‘अगर आप मेरे चौथे बेटे को जो अपंग है उसको अपने साथ नहीं रखते हैं तो कोई भी अनहोनी हो सकती है.’
शहाबुद्दीन की तरफ से कोर्ट में दलील दी गई कि अगर बिहार में कोई भी अपराध होता है तो उसका कसूरवार उसे ही बनाया जाता है. उसने कहा, ‘जिन दो भाइयों के कत्ल में मुझे दोषी ठहराया गया था उसमें 5 आरोपपत्र अदालत में दाखिल किए गए और आखिरी आरोपपत्र में मेरा नाम था.’

 

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