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सिंधु जल समझौते पर हुई बैठक के बाद बोले पीएम मोदी, पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते

भारत-पाकिस्तान के बीच 1960 में हुए सिंधु जल समझौते की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से बुलाई गई बैठक खत्म हो गई है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मीटिंग के बाद पीएम मोदी ने कहा कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते.

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  • September 26, 2016 12:26 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. भारत-पाकिस्तान के बीच 1960 में हुए सिंधु जल समझौते की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से बुलाई गई बैठक खत्म हो गई है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मीटिंग के बाद पीएम मोदी ने कहा कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते.
 
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सिंधु जल समझौते पर आज हुई मीटिंग में विदेश सचिव एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल पीएम के प्रिंसिपल सेक्रेटरी नृपेंद्र मिश्र भी शामिल हुए थे.
 
बैठक में आए अधिकारियों ने कहा कि बिना समझौता तोड़े भी भारत अपने हिस्से का पानी ले सकता है. मीटिंग में वाटर रिसोर्सेज मंत्रालय के सेक्रेटरी ने एक प्रजेनटेशन दिया जिसमें कहा गया कि समझौते को तोड़े बिना भी हम जो अपने हिस्से का ज्यादा पानी पाकिस्तान को दे रहे हैं उस को रोका जा सकता है.
 
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मोदी सरकार सिंधु जल समझौते बरकरार रखेगी. सरकार इसे तोड़ने के पक्ष में नहीं है. सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस समझौते पर कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया जाएगा. यह एक अंतर्राष्ट्रीय फैसला था. 
गौरतलब है कि गुरुवार को विदेश मंत्रालय की ओर से इस जल संधि पर बयान आया था कि कोई भी समझौता आपसी विश्वास से चलता है लेकिन जब विश्वास नहीं रहेगा तो फिर समझौता कैसा.
 
जल संसाधन मंत्रालय के सचिव शशि शेखर ने मीटिंग में कहा कि 3.6 मिलियन एकड़ फीट वाटर स्टोरेज पर भारत का हक है और यह पानी हम पाकिस्तान को ज्यादा दे रहे थे जो कि हम रोक सकते हैं. जिससे
6 लाख हेक्टर के लैंड में सिंचाई हो सकेगी.
 
3.6 मिलियन एकड़ फ़ीट वाटर स्टोरेज का भारत का हक़ है, जिसकी मदद से 18000 हज़ार मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जा सकता है, फिलहाल 3 हज़ार मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता है. इससे जम्मू कश्मीर में बिजली और सिंचाई की समस्या ख़त्म हो जायेगी.

 
आसान नहीं है इसे रद्द करना
सिंधु जल समझौता दुनिया की सबसे सफल और उदार जल संधियों में से एक है. इसे रद्द करना इतना आसान भी नहीं है. इस समझौते के नियम कुछ ऐसे हैं कि कोई भी देश एकतरफा इसे रद्द या बदल नहीं सकता.
 
रद्द हुआ तो पाकिस्तान की कमर टूट जाएगी
यह समझौता अगर रद्द हो गया तो पाकिस्तान एक- एक बूंद पानी के लिये तरस जाएगा. पाकिस्तान के पानी की जरुरत का एक बडा हिस्सा इसी के पानी से पूरा होता है. उरी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध का दबाव बढ रहा है ऐसे में सरकार इसे उसके खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर सकती है. 
 
उरी हमले का जवाब देने के लिये भारत ने जो प्लान किया है अगर उसपर मुहर लग जाए तो पाकिस्तान का बहुत बुरा हाल हो जाएगा. जानकारों का यह भी कहना है की जिस तरह चीन वहां से निकलने वाली सभी नदियों के पानी का इस्तेमाल अपने मन के मुताबिक करता है वैसे ही भारत को भी यहां से निकलने वाली नदियों का पानी पाकिस्तान को नहीं देना चाहिये. साथ ही बिना कोई रहम बरते यह समझौता रद्द कर देना चाहिए.
 
 
 

 

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