नई दिल्ली. रुचिका गिरहोत्रा केस में हरियाणा के पूर्व डीजीपी शंभू प्रताप सिंह राठौड़ (एसपीएस राठौड़) को सुप्रीम कोर्ट ने दोषी माना. साथ ही जितने दिन वो जेल में रहा है उसको भी कोर्ट ने काफी माना है. इसलिए राठौड़ को अब जेल नहीं जाना होगा.
पूर्व डीजीपी राठौड़ ने 5 महीने 18 दिन जेल की सजा काटी है. एसपीएस राठौड़ को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए उसकी इस सजा अवधि को काफी माना. बता दें कि रुचिका गिरहोत्रा केस 22 दिसम्बर 2009 की घटना है.
19 साल बाद आया फैसला
घटना के 19 साल के बाद निचली अदालत ने राठौड़ को आईपीसी धारा 354 (छेड़छाड़) का दोषी करार देते हुए छह महीने की कैद और 1000 रुपए जुर्माना की सजा सुनाई थी. इस सजा को हाईकोर्ट ने बढाकर 18 महीने कर दिया था. राठौड़ ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. 11 नवम्बर 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने राठौड़ को सशर्त जमानत दे दी थी.
1990 में तत्कालीन आईजी एस पी एस राठौड़ पर 14 वर्षीय रुचिका गिरहोत्रा से छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया था. 1993 में रुचिका ने खुदकुशी कर ली थी. इसी के तहत राठौड़ के खिलाफ मामला दर्ज हुआ और सरकार ने सीबीआई को जांच सौंप दी थी.
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