दीनानगर. माता-पिता सोचते हैं कि उनके बच्चे ही उन्हें अंतिम विदाई देंगे लेकिन, उस मां पर क्या बीती होगी, जिसे अपने बेटे की अर्थी को कंधा देना पड़ा. इस तकलीफ को अपने सहने वाली और साहस से हैरान कर देने वाली मां कश्मीर में शहीद हुए 20 डोगरा रेजिमेंट के हवलदार मदन लाल शर्मा की हैं.
40 साल केे मदन लाल का उनके गांव में बुधवार को अंतिम संस्कार किया गया.. उनकी 80 साल की मां धर्मो देवी ने अपने शहीद बेटे की अर्थी को कंधा दिया. इतना ही नहीं धर्मो देवी ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए कहा कि इस देश की मां के कंधों में इतनी ताकत है कि देश के लिए कुर्बान हुए बेटे की जिम्मेदारियां उठाने का दम रखती है.
मदन लाल नौगाम सेक्टर के नारीयां क्षेत्र में मंगलवार को आतंकियों का मुकाबला करने के दौरान शहीद हो गए थे. उनका पार्थिव शरीर बुधवार रात को श्रीनगर से पंजाब के पठानकोट लाया गया. तिरंगे में लिपटे मदनलाल के पार्थिव शरीर को देखकर उनकी मां और पत्नी दहाड़े मारकर रोने लगीं. उनकी पांच साल की बेटी और ढाई साल का बेटा समझ ही नहीं पा रहे थे कि आखिर उनके पिता को हुआ क्या है. अपनी मां और दादी को रोता देख उनकी आंखें गुमसुम थीं.
शहीद मदनलाल की अंतिम विदाई में गांववालों की आंखें नम हो गईं और पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा भर आया. गांववालों ने शहीद मदन लाल अमर रहे के नारे भी लगाए. तब 80 साल की धर्मो देवी ने अपने बहादुर बेटे की अर्थी को कंधा दिया और फिर ढाई साल के बेटे ने उन्हें मुखाग्नि दी. धर्मो देवी का साहस देखकर हर कोई हैरान था.