नई दिल्ली. गुजरात के सोमनाथ मंदिर के दरवाजे अब सबके लिए खुले नहीं रह गए हैं. सोमनाथ ट्रस्ट ने गैर-हिंदुओं के लिए नए नियम बनाए हैं. गैर हिंदुओं को अब प्रवेश के लिए अब मैनेजमेंट से इजाजत लेनी होगी. परिसर में घूमने फिरने के लिए भी इजाजत लेनी होगी. मैनेजमेंट का कहना है कि हिंदू मंदिरों में जो परंपरा चली आ रही है उसी का पालन किया जा रहा है.
प्रबंधन की इजाज़त के बाद जा सकते हैं अन्दर
मंदिर प्रबंधन से इस बारे में जानकारी लेने के सिलसिले में ये पता चला है कि मंदिर में गैर हिंदओं को भी जाने दिया जा सकता है, लेकिन इसके लिए मंदिर प्रबंधन को सूचित करना होगा. दरअसल मंदिर के बाहर जो बोर्ड गुजराती भाषा में लगा है, उसका हिंदी में रुपांतरण ये है- श्री सोमनाथ मुख्य ज्योतिर्लिंग तीर्थधाम हिंदुओं का पवित्र तीर्थधाम है. इस पवित्र तीर्थधाम में गैर-हिन्दुओं को दर्शन हेतु प्रवेश के लिए जनरल मैनेजर ऑफिस का संपर्क कर प्रवेश के लिए मंजूरी लेनी होगी और फिर दर्शन के लिए प्रवेश दिया जाएगा.
प्रबंधन सूत्रों के मुताबिक, इस तरह का बोर्ड लगाने की नौबत इसलिए आई, क्योंकि सोमनाथ मंदिर कैंपस के अंदर कई बार गैर हिंदू दर्शन के लिए नहीं, बल्कि सैर-सपाटे के लिए आया करते थे और जिसकी वजह से कई बार दर्शनार्थियों के साथ बोलचाल हो जाया करती थी. प्रबंधन की तरफ से ये भी कहा जा रहा है कि ऐसा पहली बार नहीं है कि किसी हिंदू मंदिर के बाहर इस तरह का बोर्ड लगाया गया है. वाराणसी में विश्वनाथ मंदिर के बाहर तो ऐसा शिलापट्ट ही है, जिसपर ये लिखा गया है कि मंदिर के अंदर गैर-हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है.
पुरी में भी है मनाही
इसी तरह की मनाही पुरी में भगवान जगन्नाथ मंदिर के लिए भी है. सोमनाथ ट्रस्ट प्रबंधन का दावा है कि उसने गैर-हिंदुओं के प्रवेश के लिए मनाही नहीं की है, बल्कि इजाजत लेने की बात कही है, वो भी इसलिए ताकि इस पवित्र मंदिर के अंदर हिंदुओं की धार्मिक भावनाओँ का ध्यान रखते हुए गैर-हिंदुओं को घुमाया जा सके. ध्यान रहे कि सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का कार्य देश की आजादी के बाद लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के संकल्प के साथ शुरु हुआ और महात्मा गांधी के अनुरोध पर बिना सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल किये इसका निर्माण किया गया.
आजादी के पहले सोमनाथ जूनागढ़ की नवाबी रियासत का हिस्सा था और ऐतिहासिक मंदिर महज खंडहर भर था, क्योंकि इससे पहले दर्जन भर से भी अधिक हमले इस मंदिर पर मुस्लिम आक्रांताओं ने किया था, जिसमें मुहम्मद गजनी भी एक था. इसी मंदिर को नष्ट-भ्रष्ट करने की वजह से उसका एक उपनाम बुतशिकन भी पड़ा.
पारसी मंदिरों में नहीं होती एंट्री
ध्यान रहे कि हिंदू धर्म के अलावा भारत में पारसी समुदाय के अंदर भी इस तरह की मनाही है. पारसी मंदिर, जिन्हें अगियारी कहा जाता है, उसके अंदर गैर-पारसी तो ठीक, उन गैर-पारसियों को भी प्रवेश की इजाजत नहीं है, जिन्होंने किसी पारसी से शादी कर ली है. मंदिर के नियम के मुताबिक गैर हिंदुओं को जनरल मैनेजर की परमिशन प्राप्त करने के बाद ही दर्शन की अनुमति मिल सकती है. इस नियम के बारे में मैनजर का कहना है कि ज्यादातर बड़े हिन्दू धर्मंस्थानों पर यह परंपरा रही है, इसीलिए सोमनाथ में यह नियम लागू किया गया है. जिससे तीर्थधाम की आस्था और धर्म का माहौल बना रहे.
IANS से भी इनपुट
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