नई दिल्ली. पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत ने कमर कस ली है. भारत ने संकेत दिए हैं कि वह अपने पड़ोसी देश से सिंधु जल समझौता तोड़ सकता है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने गुरुवार को भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौता तोड़ने के संकेत दिए हैं. दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा कि किसी भी समझौते के लिए दो देशों में आपसी विश्वास और सहयोग होना जरूरी है, यह एक तरफा तो कतई नहीं हो सकता.
उरी हमले के बाद की जा रही कार्रवाई पर स्वरूप ने कहा कि हमारा काम अपने आप बोलता है और उस एक्शन के नतीजे अभी से मिलने शुरू भी हो गए हैं. विकास स्वरूप ने यूएन महसभा में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के दिए भाषण को लेकर पाकिस्तान को जमकर कोसा. स्वरूप ने कहा कि ब्रिटेन, फ्रांस, सऊदी अरब सहित दुनिया के ज्यादातर देशों ने की उरी हमले की निंदा की है. अब यह पाकिस्तान की जिम्मेदारी है कि वह अपने देश में फल फूल रहे आंतकवादी संगठनों के खिलाफ जल्द से जल्द कार्रवाई करे.
विकास स्वरूप ने कहा कि किसी भी देश ने कश्मीर मुद्दे पर कुछ नहीं कहा पर नवाज शरीफ के भाषण का 80 फीसदी हिस्सा इसी पर केंद्रित था. उन्होंने कहा कि अन्य सभी देशों ने आतंकवाद को शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया है लेकिन पाकिस्तान ये मानने को तैयार नहीं.
नवाज शरीफ ने अपने भाषण में कश्मीरियों पर भारतीय आर्मी द्वारा किए जा रहे मानवाधिकार के कथित उल्लंघनों से जुड़ा डोजियर सौंपने और हिंसा की जांच करने की बात कही थी. इस पर विकास स्वरूप ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव के बयान में हमें इसका कोई जिक्र नहीं मिला. हमें डोजियर देने की जरूरत नहीं है पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान की भूमिका आतंकवाद को बढ़ावा देने में क्या है.
क्या है सिंधु जल संधि
सिंधु नदी संधि को विश्व के इतिहास का सबसे उदार जल बंटवारा माना जाता है. इस संधि के तहत पाकिस्तान को 80.52 प्रतिशत पानी यानी 167.2 अरब घन मीटर पानी सालाना दिया जाता है. 1960 में हुए सिंधु नदी संधि के तहत उत्तर और दक्षिण को बांटने वाली एक रेखा तय की गई है, जिसके तहत सिंधु क्षेत्र में आने वाली तीन नदियों का नियंत्रण भारत और तीन का पाकिस्तान को दिया गया है. 2011 में अमेरिकी सीनेट की फॉरेन रिलेशन कमेटी के लिए तैयार की गई रिपोर्ट में सिंधु जल संधि को दुनिया की सबसे सफल जल संधि बताया गया था.