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..तो क्या किसी गद्दार की वजह से उरी में शहीद हुए 18 सैनिक ?

रविवार को हुए उरी आतंकी हमले की जाँच सेना ने शुरू कर दी है. शुरुआती जाँच में सेना को शक है कि हमले में किसी 'अंदरूनी भेदिए' का हाथ हो सकता है. आर्मी के अनुसार आतंकियों को जवानों की लोकेशन, ड्यूटी बदलने का समय और ब्रिगेड कमांडर के घर व दफ्तर की लोकेशन की बिलकुल सटीक जानकारी थी जो किसी अंदरूनी व्यक्ति के मदद के बिना असंभव है.

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  • September 21, 2016 7:56 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. रविवार को हुए उरी आतंकी हमले की जाँच सेना ने शुरू कर दी है. शुरुआती जाँच में सेना को शक है कि हमले में किसी ‘अंदरूनी भेदिए’ का हाथ हो सकता है.
आर्मी के मुताबिक आतंकियों को जवानों की लोकेशन, ड्यूटी बदलने का समय और ब्रिगेड कमांडर के घर व दफ्तर की बिलकुल सटीक जानकारी थी जो किसी कि ‘मदद’ के बिना असंभव है.
 
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अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सेना को लगता है कि आतंकी एलओसी पार कर सुखदर होते हुए उरी पहुंचे होंगे. सेना इस पूरे रूट की जाँच कर कर रही है. सुखदर 500 की आबादी वाला छोटा सा गांव है, जिसकी ब्रिगेड मुख्यालय से दूरी सिर्फ 4 किलोमीटर है. सेना के अनुसार कोई परिचित आदमी ही बिना किसी की नजर में आये मुख्यालय में घुस सकता है. इसलिए इस बात की प्रबल सम्भावना है की किसी अंदर के आदमी ने ही आतंकियों की मदद की होगी.
 
ब्रिगेड मुख्यालय के पास एक दूकान चलाने वाले एजाज़ अहमद का भी मानना है कि ऐसा हमला बिना किसी की मदद के संभव नहीं है. उन्होंने अखबार से बाततचीत में कहा “ब्रिगेड मुख्यालय के इतने करीब रहने के बावजूद हमें इसके बारे में कुछ नहीं पता तो एलओसी के पार से आने वाले ऐसा हमला कैसे कर सकते हैं? उन्हें इस जगह के बारे में पूरी सूचना रही होगी.”
 
गौरतलब है कि बीते रविवार हुए आतंकी हमले में 18 जवान शहीद हो गए थे. दिल्ली से गयी राष्ट्रीय जांच एजेंसी की एक टीम कश्मीर में सेना के साथ मामले की जाँच कर रही है. उरी ब्रिगेड मुख्यालय में लगभग 500 कुली काम करते हैं, जो एलओसी के आस-पास के गांवों में ही रहते है. आम तौर पर ये कुली शाम को अपने घर लौट जाते है पर हमले के बाद से ही वो घर नहीं लौटे हैं.
 

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