नई दिल्ली. कोहिनूर हीरा वापस लाने के लिए सरकार के पास कोई खास कानूनी विकल्प नहीं बचा है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर यह बात स्वीकार की है है. हालांकि, बावजूद इसके सरकार नए विकल्पों और संभावनाओं को तलाश रही है.
केंद्र सरकार ने ब्रिटेन से कोहिनूर हीरा वापस लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि 105 कैरेट कोहिनूर को ब्रिटेन ने महाराजा दिलीप सिंह से लिया था। ये भारतीय सम्पति है और इसे कभी भी महारानी विक्टोरिया को उपहार स्वरूप नहीं दिया गया था।
केंद्र सरकार ने ये भी कहा की कोहिनूर से भारतीयों की भावनाएं जुड़ीं हैं लेकिन अभी कोई कानूनी विकल्प नहीं है। लेकिन वो विकल्पों को बड़ा कर, नई संभावनाओं को तलाशेंगे ताकि ब्रिटेन सरकार से बातचीत कर कोहिनूर वापस लाया जा सके।
केंद्र सरकार के हलफ़नामे से ये बात साफ़ है कि कोहिनूर पर भारत का हक़ है लेकिन वापस लाने के लिए कोई कानूनी विकल्प नहीं है। केंद्र सरकार ने कहा एंटीक्विटिस एंड आर्ट ट्रेजर्स एक्ट 1972 तो है लेकिन वो इस मामले में लागू नहीं हो सकता क्योंकि कोहिनूर पहले लिए गया है और एक्ट से बनने के पहले लिए गए किसी सामान पर ये लागू नहीं होता।
केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि ब्रिटेन और भारत में यूनेस्को संधि है, जिसके आर्टिकल 7 के मुताबिक कोई भी एंटीक सम्पति जो गलत तरीके से ली गई है उसे वापस करना होगा लेकिन ये भी इस मामले में लागू नहीं होता क्योंकि संधि के पहले कोहिनूर लिया गया था और संधि को उसी तारीख से माना जायेगा जब ये प्रभाव में आई थी। अगर उससे पहले कुछ लिया गया है, तो ये संधि लागू नहीं होती।
कोर्ट ने मंगाए थे ठोस सुझाव
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कोहिनूर हीरे को मामले को गंभीर बताते हुए कहा था कि केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर किसी ठोस सुझाव के साथ कोर्ट में आना चाहिए। कोर्ट ने बंगाल हेरिटेज की तरफ से याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही थी।
बंगाल हेरिटेज की तरफ से याचिका में कहा गया है कि कोहिनूर हीरे को महाराजा दिलीप सिंह ने ईस्ट इंडिया कंपनी को गिफ्ट नहीं किया था, बल्कि उन्हें इसे देने के लिए विवश किया गया था। कोहिनूर से संबंधित पुराने कागजात भी यही बताते हैं। इसलिए केंद्र सरकार को इस मु्द्दे पर अंतराष्ट्रीय फोरम जाना चाहिए और कोहिनूर को वापस लाना चाहिए।
800 साल पहले भारत की खदान से निकला
गौरतलब है कि कोहिनूर हीरा अपने आकार और खूबसूरती को लेकर दुनियाभर में दिलचस्पी का केंद्र रहा है। इसे सबसे बड़ा हीरा माना जाता है। मुगल बादशाह शाहजहां और पंजाब के शासक रंजीत सिंह के पास भी ये हीरा रहा।
माना जाता है कि करीब 800 साल पहले 105 कैरेट का यह हीरा भारत की खदान से निकला था और अंग्रेजी राज के दौरान इसे तत्कालीन महारानी विक्टोरिया को भेंट में दिया गया। फिलहाल यह एलिजाबेथ की मां के मुकुट में सजा हुआ है।