नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव के दौरान भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कभी धर्म की राजनीति की चर्चा तक नहीं की. एनडीए सरकार बनने के बाद भी उन्होंने सभी विवादित मुद्दों से खुद को दूर ही रखा. उसके बावजूद उन्हें बार-बार सफाई देनी पड़ रही है कि वो धार्मिक नफरत की राजनीति बर्दाश्त नहीं करेंगे. दो महीने बाद पीएम ने एक बार फिर मौलानाओं और मुस्लिम समाज के नेताओं से मन की बात कही.
मुस्लिम समाज के प्रतिनिधिमंडल से मोदी ने कहा कि उन्हें उनके काम से आंकिए, विरोधियों के आरोपों पर ध्यान मत दीजिए. अब ये सवाल बीच बहस में है कि क्यों मोदी को बार-बार ये परीक्षा देनी पड़ती है कि वो मुस्लिम विरोधी नहीं हैं ? क्या मोदी की छवि कोई खराब कर रहा है ?
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