लखनऊ. उत्तर प्रदेश की सत्ता में काबिज और यूपी के सभी बड़े राजनीतिक घराने में अब भीषण घमासान शुरू हो चुका है. अखिलेश यादव ने शिवपाल सहित 4 मंत्रियों को कैबिनेट से हटा दिया है. इस झगड़े को शांत करने के लिए सपा सुप्रीम मुलायम सिंह यादव पूरी कोशिश कर रहे हैं लेकिन न तो वह भाई शिवपाल को मनाने में कामयाब हो पाएं हैं और न सीएम अखिलेश टस से मस हुए.
मुलायम लखनऊ पहुंच गए हैं. पिछले 72 घंटों में वह कई बार अखिलेश, शिवपाल और रामगोपाल से बात भी कर चुके हैं. लेकिन मसला सुलझने के बाद और बिगड़ता जा रहा है. इतना ही नहीं शुक्रवार की सुबह शिवपाल ने अपने समर्थकों से भी पार्टी कार्यालय चलने के लिए कह दिया. हालांकि उन्होंने भी यह भी कहा कि जो नेता जी कहेंगे वही माना जाएगा. लेकिन इस पूरे मामले की असली वजह क्या है, आखिर क्यों शिवपाल और अखिलेश के बीच इतनी दूरी बढ़ गई है.
इन पांच अहम वजहें बनीं शिवपाल और अखिलेश के झगड़े की जड़
1- अखिलेश यादव और शिवपाल के बीच तनातनी काफी पहले से चली आ रही थी. लेकिन मामला उस समय आगे बढ़ गया जब शिवपाल की इच्छा के बावजूद भी अखिलेश ने मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता का विलय सपा में नहीं होने दिया. इसको लेकर दोनों के बीच बयानबाजी भी खूब हुई.
2- उसके बाद अखिलेश ने अपने मंत्रिमंडल से खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति और पंचायती राज मंत्री राजकिशोर सिंह को उनके पदों से बर्खास्त कर दिया. दोनों ही मुलायम और शिवपाल के काफी करीबी माने जाते हैं. भतीजे अखिलेश यादव का यह कदम भी शिवपाल को नागवार गुजरा.
3- इसके बाद शिवपाल के कहने पर ही मुख्य सचिव बनाए गए दीपक सिंघल को अखिलेश ने नहीं बख्शा और उनका भी तबादला कर दिया. सिंघळ को हटाने के पीछे सबसे बड़ी वजह सामने आई कि वह सपा नेता अमर सिंह की ओर से दिल्ली में आयोजित डिनर में हिस्सा लेने पहुंच गए थे जबकि खुद सीएम भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने नहीं गए थे. हालांकि इसमें उनके कई मंत्री और पार्टी के नेता भी गए थे.
4- उसके बाद शिवपाल से मिलने के बाद मुलायम ने अखिलेश को यूपी समाजवादी पार्टी अध्यक्ष के पद से हटा दिया. जिसके तुरंत बाद ही अखिलेश ने शिवपाल से पीडब्लूडी मंत्रालय छीन लिया. इस बात से शिवपाल इतने नाराज हुए कि उन्होंने मंत्रिमंडल और पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया.
अगर पार्टी टूटी तो..
समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह यादव के बाद शिवपाल ही ऐसे नेता हैं जो संगठन में मजबूत पकड़ रखते हैं. 2012 का चुनाव अखिलेश के नाम पर जरूर लड़ा गया था लेकिन संगठन को ताकत देने का काम शिवपाल ने ही किया था. सपा को खड़ा करने में मुलायम सिंह का साथ शिवपाल ने बखूबी दिया है. उनके समर्थन में पार्टी के कई विधायक हैं जो मौका पड़ने पर शिवपाल के साथ चले जाएंगे.